Buddhadeb Bhattacharya: एक संक्षिप्त जीवन परिचय

Buddhadeb Bhattacharya: एक संक्षिप्त जीवन परिचय

Buddhadeb Bhattacharya: वह पश्चिम बंगाल के इतिहास के एक महत्वपूर्ण कालखंड के अध्यक्ष रहे, जो दुनिया की सबसे लंबी लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई कम्युनिस्ट सरकार (34 साल) के एक वरिष्ठ नेता थे, जिसका अंत ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस ने किया।

Buddhadeb Bhattacharya: एक संक्षिप्त जीवन परिचय

उनका राजनीतिक करियर पांच दशकों से अधिक रहा, जिस दौरान उन्होंने पोलित ब्यूरो सदस्य और सीपीआई (एम) के राज्य सचिव सहित विभिन्न पदों पर कार्य किया। बुद्धदेव भट्टाचार्य अपनी अपेक्षाकृत खुली आर्थिक नीतियों के लिए जाने जाते हैं, जिसका उद्देश्य पश्चिम बंगाल की अर्थव्यवस्था का आधुनिकीकरण करना था, जो उनकी पार्टी के पारंपरिक पूंजीवाद-विरोधी रुख के विपरीत था।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

भट्टाचार्य बंगाली ब्राह्मण परिवार से आते हैं। उनके दादा एक प्रसिद्ध संस्कृत विद्वान थे, जबकि उनके पिता हिंदू धार्मिक साहित्य के प्रकाशन में लगे हुए थे। बंगाली साहित्य में उनकी गहरी रुचि के कारण, उन्होंने कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज से स्नातक किया और करियर के रूप में शिक्षण को चुना।

विवरण   जानकारी

पूरा नाम: बुद्धदेव भट्टाचार्य
जन्म तिथि: 1 मार्च, 1944
जन्म स्थान: कोलकाता, पश्चिम बंगाल, भारत
आयु: 80 वर्ष (2024 तक)
शिक्षा: कोलकाता के प्रेसीडेंसी कॉलेज से बंगाली में बीए (ऑनर्स); सैलेंद्र सरकार विद्यालय से स्कूली शिक्षा पूर्ण की
राजनीतिक दल: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) (सीपीआई (एम))
राजनीतिक कैरियर: 1966 में सीपीआई (एम) में शामिल हुए; पार्टी के भीतर एक महत्वपूर्ण नेता बने, विभिन्न पदों पर कार्य किया
मृत्यु: अगस्त 8, 2024

राजनीतिक जीवन

बुद्धदेव भट्टाचार्य 1966 से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के सदस्य थे और तेजी से पदोन्नति पाकर पार्टी पदानुक्रम में ऊपर पहुंचे। वे 1977 से 1982 तक काशीपुर-बेल्गछिया से विधायक रहे और सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री सहित विभिन्न मंत्रालयों में कार्य किया।

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ज्योति बसु के बाद वे वर्ष 2000 में मुख्यमंत्री बने। उनके प्रशासन ने व्यापारिक निवेश लाने के उद्देश्य से अपनी विवादास्पद आर्थिक नीतियों को देखा, जिसका औद्योगिक परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण पर कड़े विरोध का सामना करना पड़ा। राज्य की अर्थव्यवस्था का आधुनिकीकरण करने के उनके प्रयासों को भारी प्रतिरोध का सामना करना पड़ा और वे 2011 में फिर से चुनाव जीतने में नाकाम रहे। इस हार ने पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चे के तीन दशकों के शासन का अंत कर दिया।

हालिया स्वास्थ्य और निधन

भट्टाचार्य हाल ही में कई बार अस्पताल में भर्ती हुए थे, क्योंकि उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी, जो कि एक पुरानी समस्या थी। 8 अगस्त, 2024 को कोलकाता में लंबे समय से इलाज चल रहा था, जिस दौरान उनका निधन हो गया। वे अस्सी वर्ष के थे।

8 अगस्त, 2024 को बुद्धदेव भट्टाचार्य के निधन ने पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक युग का अंत कर दिया, लेकिन उनके योगदान और उनके शासन की जटिलताओं का भारत के राजनीतिक विकास के संदर्भ में अध्ययन और बहस जारी रहेगी। उनका जीवन तेजी से बदलती दुनिया में शासन की जटिलताओं को नेविगेट करने वाले एक नेता की चुनौतियों और जीत का प्रमाण है।

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