President’s rule: हाल ही में दिल्ली में राष्ट्रपति शासन की चर्चा काफी तेज हो गई है। इसका कारण विपक्ष द्वारा दिल्ली सरकार की बर्खास्तगी की मांग है, जिसे वे संविधानिक संकट के रूप में देख रहे हैं। इस संबंध में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को विपक्ष द्वारा एक पत्र भी भेजा गया है, जिसे राष्ट्रपति ने गृह मंत्रालय को भेज दिया है। इसके बाद से दिल्ली में राष्ट्रपति शासन की चर्चाएं और भी बढ़ गई हैं।
लेकिन सवाल यह है कि राष्ट्रपति शासन क्या है और इसे किस परिस्थितियों में लागू किया जाता है। इस पूरे लेख को पढ़ें और जानें राष्ट्रपति शासन से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण बातें।
राष्ट्रपति शासन का संविधानिक तंत्र
राष्ट्रपति शासन के बारे में जानकारी संविधान के अनुच्छेद 352 में दी गई है। इसके अनुसार, यदि राष्ट्रपति को लगता है कि राज्य सरकार संविधान के अनुसार कार्य नहीं कर रही है, तो राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है। हालांकि, राष्ट्रपति शासन लागू करने के बाद इसे दोनों सदनों के संसद द्वारा दो महीने के भीतर अनुमोदित करना आवश्यक होता है।
राष्ट्रपति शासन क्या है
राष्ट्रपति शासन के तहत, राज्य सरकार का नियंत्रण सीधे राष्ट्रपति के हाथ में चला जाता है, न कि चुने गए मुख्यमंत्री के हाथ में। हालांकि, कार्यकारी शक्तियां इसके लिए केंद्र द्वारा प्रदान की जाती हैं। इसके अतिरिक्त, राज्यपाल द्वारा भी सलाहकार नियुक्त किए जाते हैं, जो सेवानिवृत्त सिविल सेवक होते हैं।
राष्ट्रपति शासन की अवधि
अब सवाल यह है कि राष्ट्रपति शासन की अवधि क्या होती है? आपको बता दें कि यदि राष्ट्रपति शासन को संसद द्वारा अनुमोदित किया जाता है, तो यह छह महीने तक चलता है। हालांकि, इसे अगले तीन वर्षों के लिए छह महीने की अवधि में विस्तार किया जा सकता है।
राष्ट्रपति शासन के दौरान बदलाव
राष्ट्रपति शासन के दौरान होने वाले बदलावों की बात करें तो, इस समय मुख्यमंत्री की अगुवाई में मंत्रिपरिषद को राष्ट्रपति द्वारा भंग कर दिया जाता है। इस दौरान, राज्य का विधेयक और बजट प्रस्ताव स्वयं संसद द्वारा पास किया जाता है।
इसके अलावा, राष्ट्रपति यह भी घोषित कर सकते हैं कि राज्य के विधायी शक्तियां संसद द्वारा exercised की जाएंगी। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि राज्य का प्रशासन पूरी तरह से केंद्रीय सरकार के हाथों में चला जाता है, जहां राज्यपाल को राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किए गए अधिकारी की सहायता से शासन करना होता है। इस प्रकार, राज्य का प्रशासन पूरी तरह से केंद्रीय सरकार के नियंत्रण में आ जाता है।
राष्ट्रपति शासन के प्रावधान
- लागू करने की प्रक्रिया: राष्ट्रपति शासन लागू करने के लिए राष्ट्रपति को यह संतुष्ट होना आवश्यक है कि राज्य सरकार संविधान के अनुसार कार्य नहीं कर रही है। इसके बाद राष्ट्रपति इसे लागू कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए दोनों सदनों की संसद से अनुमोदन प्राप्त करना आवश्यक है।
- केंद्र सरकार का नियंत्रण: राष्ट्रपति शासन के दौरान, राज्य का पूरा प्रशासन केंद्रीय सरकार के हाथ में आ जाता है। राज्यपाल को राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किए गए अधिकारी की सहायता से प्रशासनिक कार्यों को अंजाम देना होता है।
- मंत्रिपरिषद का भंग होना: राष्ट्रपति शासन के दौरान, राज्य की मंत्रिपरिषद भंग कर दी जाती है। इसके बाद, राज्य का बजट और विधेयक संसद द्वारा पास किया जाता है।
विधायी शक्तियों का हस्तांतरण: राष्ट्रपति यह भी घोषित कर सकते हैं कि राज्य के विधायी शक्तियां संसद द्वारा exercised की जाएंगी, जिससे राज्य के अंदर की सभी विधायी गतिविधियाँ सीधे संसद के नियंत्रण में आ जाती हैं।
राष्ट्रपति शासन के प्रभाव
राष्ट्रपति शासन लागू होने पर राज्य के लोगों को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। राज्य सरकार की अनुपस्थिति में, केंद्र सरकार के प्रतिनिधि और राज्यपाल द्वारा नियुक्त अधिकारी राज्य की जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हैं। इससे स्थानीय मुद्दों पर त्वरित निर्णय लेने में कठिनाइयाँ उत्पन्न हो सकती हैं, और आम जनता की समस्याओं का समाधान भी सुस्त हो सकता है।
उदाहरण और ऐतिहासिक संदर्भ
भारतीय राजनीति में राष्ट्रपति शासन के कई उदाहरण मिलते हैं। जब भी किसी राज्य में राजनीतिक संकट उत्पन्न होता है और राज्य सरकार संविधान के अनुसार कार्य नहीं कर पा रही होती है, तब राष्ट्रपति शासन लागू किया जाता है। उदाहरण के तौर पर, 1991 में उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था, जब राज्य सरकार ने संवैधानिक संकट का सामना किया था। इसी तरह, 2008 में बिहार में भी राष्ट्रपति शासन लगाया गया था, जब राज्य सरकार ने संविधानिक मानदंडों का पालन नहीं किया था।
निष्कर्ष
राष्ट्रपति शासन एक संवैधानिक प्रावधान है जो भारत के संविधान में स्थापित किया गया है। इसका उद्देश्य तब लागू किया जाता है जब राज्य सरकार संविधान के अनुरूप कार्य नहीं कर रही होती है। इसके अंतर्गत, राज्य सरकार का नियंत्रण सीधे राष्ट्रपति के हाथ में आ जाता है, और राज्य का प्रशासन पूरी तरह से केंद्रीय सरकार के नियंत्रण में होता है। हालांकि, राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद भी इसके प्रभाव और परिणाम राज्य की जनता के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं, और इसके लागू होने के बाद से स्थिति की निगरानी और सुधार की प्रक्रिया चलती रहती है।