Guru Nanak Jayanti: सिख धर्म के संस्थापक की उपदेशों का उत्सव

Guru Nanak Jayanti: सिख धर्म के संस्थापक की उपदेशों का उत्सव

Guru Nanak Jayanti, जिसे गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व के रूप में भी जाना जाता है, सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी की जयंती के रूप में मनाई जाती है। यह पर्व विशेष रूप से सिख समुदाय के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है और इसे धूमधाम से मनाया जाता है। गुरु नानक देव जी ने सिख धर्म की नींव रखी थी और अपने जीवन के दौरान जो उपदेश दिए, वे आज भी लाखों लोगों के जीवन में प्रेरणा का स्रोत हैं। गुरु नानक जयंती का पर्व न केवल सिखों के लिए बल्कि पूरे भारत और विश्व के लिए एक आध्यात्मिक उत्सव है, जो भाईचारे, समानता, और शांति का संदेश देता है।

गुरु नानक देव जी का जीवन

गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल 1469 को हुआ था। उनका जन्म पंजाब के तलवंडी नामक गांव (अब पाकिस्तान में स्थित) में हुआ था, जो आज ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है। गुरु नानक देव जी के माता-पिता का नाम मेहता कालू और त्रिप्ता जी था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा ने उन्हें धार्मिक दृष्टिकोण और जीवन के गहरे अर्थ को समझने का अवसर दिया। गुरु नानक देव जी का जीवन बहुत साधारण था, लेकिन उनके विचारों में गहरी धार्मिक और सामाजिक समझ थी।

गुरु नानक ने अपनी शिक्षा का आरंभ हिंदू धर्म और इस्लाम दोनों की शिक्षाओं से किया था। उनके समय में समाज में जातिवाद, असमानता, और धार्मिक संघर्षों की स्थिति थी। गुरु नानक ने इन सभी बुराइयों को समाप्त करने के लिए अपनी आवाज उठाई और एक ऐसा समाज बनाने की कोशिश की जहां सभी मनुष्य समान हों, बिना किसी भेदभाव के। उनका विश्वास था कि ईश्वर एक है और वह सभी धर्मों और जातियों से परे हैं।

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Guru Nanak Jayanti: सिख धर्म के संस्थापक की उपदेशों का उत्सव

गुरु नानक देव जी ने अपनी यात्रा के दौरान विभिन्न स्थानों पर उपदेश दिए। उन्होंने गुरु ग्रंथ साहिब, जो सिखों का पवित्र ग्रंथ है, को तैयार करने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके उपदेशों में भक्ति, सेवा, और सत्य के मार्ग पर चलने की बात की गई है।

गुरु नानक देव जी के प्रमुख उपदेश

गुरु नानक देव जी ने जो उपदेश दिए, वे आज भी सिख धर्म और समाज में अत्यंत प्रभावी हैं। उनके उपदेशों में कुछ प्रमुख बातें इस प्रकार हैं:

  1. ईश्वर की एकता: गुरु नानक देव जी का सबसे प्रमुख उपदेश था कि ईश्वर एक है और वह सभी के लिए समान है। उन्होंने जातिवाद और भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई और लोगों से अपील की कि वे ईश्वर की एकता को स्वीकार करें और एकजुट रहें।
  2. सेवा और दया: गुरु नानक ने हमेशा सेवा और दया की बात की। उनका कहना था कि दूसरों की मदद करना और गरीबों, कमजोरों की सेवा करना ही सच्चा धर्म है। उनके अनुसार, केवल पूजा पाठ से नहीं, बल्कि समाज सेवा से ही ईश्वर को प्रसन्न किया जा सकता है।
  3. समानता का संदेश: गुरु नानक ने कभी भी जातिवाद या ऊंच-नीच की भावना को स्वीकार नहीं किया। उनका कहना था कि सभी मनुष्य समान हैं, चाहे उनका जन्म किसी भी जाति या धर्म में हुआ हो। उन्होंने समाज में समानता का प्रचार किया।
  4. सत्य बोलना: गुरु नानक का कहना था कि सत्य बोलना और सत्य के मार्ग पर चलना जीवन का सर्वोत्तम तरीका है। उन्होंने झूठ बोलने और छल-कपट से दूर रहने की सलाह दी।
  5. धार्मिक सहिष्णुता: गुरु नानक देव जी ने धर्मों के बीच भेदभाव को समाप्त करने की कोशिश की। उन्होंने अपने उपदेशों में हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्मों के सिद्धांतों को मिलाकर एक सर्वधर्म समभाव की बात की।
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गुरु नानक जयंती का पर्व

गुरु नानक जयंती, हर साल कार्तिक माह की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है। यह पर्व सिखों के लिए एक आध्यात्मिक उत्सव है। इस दिन सिख धर्म के अनुयायी गुरुद्वारों में विशेष पूजा-अर्चना करते हैं, पाठ और कीर्तन का आयोजन करते हैं, और गुरु नानक के उपदेशों को याद करते हैं। यह दिन न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक रूप से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह लोगों को एकजुट करने और भाईचारे का संदेश देने का अवसर है।

गुरु नानक जयंती के दिन गुरुद्वारों में विशेष सजावट की जाती है, वहां भव्य कीर्तन और भजन होते हैं। ‘प्रकाश पर्व’ के दिन गुरुद्वारों में हलवा, लंगर, और अन्य सामग्रियों का वितरण किया जाता है, जिसमें सभी लोग एक साथ बैठकर भोजन करते हैं। लंगर का उद्देश्य यही है कि समाज में भेदभाव समाप्त हो और सभी को समान अधिकार मिले।

इस दिन गुरु नानक की जीवनी और उनके उपदेशों पर विशेष ध्यान दिया जाता है। सिख धर्म के अनुयायी इस दिन को बड़े श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाते हैं, ताकि गुरु नानक जी के उपदेशों को सही तरीके से आत्मसात किया जा सके और समाज में उनका संदेश फैल सके।

गुरु नानक जयंती की विशेषता

गुरु नानक जयंती की विशेषता यह है कि यह न केवल धार्मिक दिन है, बल्कि समाज में समानता, भाईचारे और प्यार का संदेश फैलाने का अवसर भी है। इस दिन लोग अपने व्यक्तिगत मतभेदों को भुलाकर एकजुट होते हैं और गुरु नानक के उपदेशों का पालन करने का संकल्प लेते हैं। इस दिन विशेष रूप से ‘नम जो रल’ (सच्चे नाम का जाप) और ‘सिमरन’ (ध्यान) के माध्यम से गुरु की भक्ति की जाती है।

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इसके अलावा, गुरु नानक जयंती पर विभिन्न स्थानों पर रैलियां और मार्च भी आयोजित किए जाते हैं, जिन्हें ‘नानकशाही मार्च’ कहा जाता है। इस मार्च में सिख समुदाय के लोग अपने गुरु की महिमा का गान करते हुए सड़कों पर निकलते हैं।

गुरु नानक देव जी का योगदान न केवल सिख धर्म, बल्कि पूरे मानवता के लिए अनमोल है। उनके द्वारा दिए गए उपदेश आज भी समाज में प्रासंगिक हैं और हमें एकजुट होने, समानता को स्वीकारने, और समाज में शांति और प्रेम फैलाने की प्रेरणा देते हैं। गुरु नानक जयंती हमें यह याद दिलाती है कि सच्ची भक्ति और धर्म केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं होती, बल्कि यह हमारे दैनिक जीवन में सेवा, सच्चाई और दया के रूप में दिखाई देती है। इस दिन को मनाने से हम न केवल गुरु नानक जी की उपदेशों को याद करते हैं, बल्कि हम समाज में उनके सिद्धांतों को लागू करने का भी संकल्प लेते हैं।

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