Languages of India: भारत एक ऐसा देश है जहाँ भाषाओं की अद्वितीय विविधता देखने को मिलती है। यहाँ न केवल हिंदी, बल्कि सैंकड़ों अन्य भाषाएँ भी बोली जाती हैं। भारत में कुल 122 प्रमुख भाषाएँ और 1599 बोलियाँ हैं। ये भाषाएँ भारतीय समाज की विविधता और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक हैं। भारत सरकार ने संविधान के आठवीं अनुसूची में 22 भाषाओं को आधिकारिक मान्यता दी है, जिन्हें ‘अनुसूचित भाषाएँ’ कहा जाता है।
1. हिंदी: राष्ट्रीय भाषा का दर्जा
भारत की सबसे प्रमुख और व्यापक रूप से बोली जाने वाली भाषा हिंदी है। हिंदी भारतीय संविधान में राजभाषा के रूप में वर्णित है। हिंदी का प्रयोग विशेष रूप से उत्तर भारत और मध्य भारत में किया जाता है। हिंदी देवनागरी लिपि में लिखी जाती है और यह भारत की एकता का प्रतीक भी मानी जाती है। हिंदी भाषा का इतिहास प्राचीन संस्कृत से जुड़ा हुआ है, जो समय के साथ विकसित होती गई। हिंदी के साथ-साथ उर्दू भी भारतीय उपमहाद्वीप की प्रमुख भाषा है, जो अरबी-फारसी लिपि में लिखी जाती है।
2. बंगाली
बंगाली भाषा भारतीय उपमहाद्वीप की प्रमुख भाषाओं में से एक है, जो विशेष रूप से पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और असम के बराक घाटी क्षेत्र में बोली जाती है। यह भाषा इंडो-आर्यन भाषा समूह से संबंधित है और इसमें एक समृद्ध साहित्यिक परंपरा है। रविंद्रनाथ ठाकुर (रवींद्रनाथ ठाकुर) जैसे महान साहित्यकारों ने इस भाषा को वैश्विक पहचान दिलाई है। बंगाली भाषा की साहित्यिक धारा भी भारत की सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा मानी जाती है।
3. तेलुगू
तेलुगू एक प्रमुख द्रविड़ भाषा है जो मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्यों में बोली जाती है। यह भाषा अपनी अद्वितीय लिपि और साहित्यिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है। तेलुगू भाषा की साहित्यिक परंपरा प्राचीन काल से ही समृद्ध रही है, जिसमें भवभूति और नरसिंह का योगदान उल्लेखनीय है। तेलुगू का उपयोग फिल्मों, संगीत और कला के क्षेत्र में भी व्यापक रूप से किया जाता है।
4. मराठी
मराठी भारत की प्रमुख भाषाओं में एक है और यह विशेष रूप से महाराष्ट्र राज्य में बोली जाती है। मराठी भाषा का समृद्ध साहित्य है और इसका इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है। संत तुकाराम और संत ज्ञानेश्वरी जैसी महान काव्य रचनाएँ मराठी साहित्य का हिस्सा हैं। मराठी की लिपि देवनागरी है, और यह भाषा भारतीय समाज में अपनी विशेष पहचान बनाए हुए है।
5. तमिल
तमिल एक द्रविड़ भाषा है जो मुख्य रूप से तमिलनाडु राज्य और श्रीलंका के कुछ हिस्सों में बोली जाती है। यह भाषा विश्व की सबसे प्राचीन भाषाओं में से एक मानी जाती है और इसका साहित्य 2000 वर्षों से भी पुराना है। तमिल भाषा का साहित्यिक धरोहर समृद्ध है और यह भारतीय सांस्कृतिक जीवन में गहरी जड़ें रखता है। तमिलनाडु की फिल्मों और संगीत में भी तमिल भाषा का महत्व अत्यधिक है।
6. गुजराती
गुजराती भारत के पश्चिमी हिस्से में बोली जाने वाली एक प्रमुख भाषा है, विशेष रूप से गुजरात राज्य में। यह इंडो-आर्यन भाषा परिवार से संबंधित है और इसमें विशेष रूप से व्यापार और उद्योगों का व्यापक प्रभाव देखने को मिलता है। गुजराती साहित्य में प्रेमचंद और गांधीजी जैसे महान व्यक्तित्वों का योगदान महत्वपूर्ण है। यह भाषा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी अहम भूमिका निभाती है।
7. पंजाबी
पंजाबी एक इंडो-आर्यन भाषा है जो मुख्य रूप से पंजाब क्षेत्र में बोली जाती है। पंजाबी भाषा का साहित्यिक इतिहास भी समृद्ध है और यह खासतौर पर गुरबाणी और सिख धर्म के संदर्भ में महत्वपूर्ण है। पंजाबी भाषा की लोकप्रियता पंजाब के बाहर भी बढ़ी है, खासकर भारतीय प्रवासी समुदायों में।
8. कन्नड़
कन्नड़ भी एक द्रविड़ भाषा है, जो कर्नाटका राज्य में बोली जाती है। कन्नड़ भाषा का साहित्य भी प्राचीन है और इसमें कई प्रसिद्ध कवि और लेखक हुए हैं। यह भाषा भारतीय सिनेमा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, खासकर कन्नड़ फिल्म उद्योग में।
9. ओडिया
ओडिया भाषा ओडिशा राज्य की प्रमुख भाषा है और यह एक इंडो-आर्यन भाषा है। ओडिया साहित्य का भी इतिहास बहुत पुराना है और इसमें कई प्रसिद्ध कवि और लेखक हुए हैं। ओडिया संस्कृति और परंपराओं को जीवित रखने में इस भाषा की अहम भूमिका है।
10. संस्कृत
संस्कृत भारतीय उपमहाद्वीप की प्राचीनतम भाषा है। इसे ‘देववाणी’ भी कहा जाता है, क्योंकि यह भगवान और ऋषियों द्वारा बोली जाती थी। संस्कृत में अनेक धार्मिक और दार्शनिक ग्रंथ लिखे गए हैं, जिनमें वेद, उपनिषद, महाभारत, रामायण और भगवद गीता जैसी महान कृतियाँ शामिल हैं। हालांकि आजकल संस्कृत का उपयोग मुख्य रूप से धार्मिक और शैक्षिक क्षेत्र में होता है, फिर भी यह भारतीय संस्कृति और साहित्य का अहम हिस्सा है।
अन्य प्रमुख भाषाएँ
भारत में इसके अलावा असमिया, कश्मीरी, मैथिली, नेपाली, संस्कृत, सिंधी, कोंकणी, डोगरी, मणिपुरी, संस्कृत, बोडो, संताली, तमिल, तेलुगू जैसी कई अन्य भाषाएँ भी बोली जाती हैं। ये सभी भाषाएँ भारतीय समाज की विविधता और समृद्धि का प्रतीक हैं।
भारत की भाषाएँ न केवल इसके सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का हिस्सा हैं, बल्कि ये सामाजिक और राजनीतिक जीवन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। प्रत्येक भाषा का अपना साहित्य, कला और इतिहास है, जो देश की विविधता को और भी रंगीन बनाता है। इन भाषाओं के माध्यम से हम अपने देश की परंपराओं और संस्कृति को आगे बढ़ा सकते हैं और भारतीयता की गहरी जड़ों को समझ सकते हैं।