Maurya Empire: चाणक्य की रणनीति और चंद्रगुप्त की वीरता से शुरू हुआ मौर्य साम्राज्य

Maurya Empire: चाणक्य की रणनीति और चंद्रगुप्त की वीरता से शुरू हुआ मौर्य साम्राज्य

Maurya Empire: मौर्य साम्राज्य की नींव चंद्रगुप्त मौर्य ने तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में रखी थी। वह एक साधारण परिवार से थे लेकिन चाणक्य के मार्गदर्शन में उन्होंने महान सम्राट बनने का सपना देखा। चाणक्य की रणनीति और चंद्रगुप्त की साहसिकता ने मिलकर नंद वंश को समाप्त किया। मौर्य साम्राज्य की शुरुआत 321 ईसा पूर्व में हुई जब चंद्रगुप्त ने मगध पर अधिकार कर लिया।

सिकंदर की मृत्यु के बाद चंद्रगुप्त ने पश्चिमी भारत में यूनानी शासकों को भी पराजित किया। उन्होंने सेल्यूकस निकेटर को हराकर अफगानिस्तान और बलूचिस्तान तक अपने साम्राज्य का विस्तार किया। चंद्रगुप्त एक कुशल प्रशासक थे और उनके समय में कानून व्यवस्था और अर्थव्यवस्था सुदृढ़ थी।

बिंदुसार का शासन

चंद्रगुप्त के बाद उनके पुत्र बिंदुसार ने लगभग 297 ईसा पूर्व में शासन संभाला। बिंदुसार को ‘अमित्रघात’ यानी शत्रुओं का विनाशक कहा जाता है। उन्होंने दक्षिण भारत के कई क्षेत्रों को मौर्य साम्राज्य में मिलाया और साम्राज्य को सत्यमंगल और कर्नाटक तक फैला दिया। बिंदुसार ने धर्म और संस्कृति को भी बढ़ावा दिया। यूनानी इतिहासकारों ने भी बिंदुसार के शासन की प्रशंसा की है।

उनके दरबार में कई यूनानी राजदूत भी आए जैसे कि डाइमेकस। बिंदुसार के शासनकाल में मौर्य प्रशासन और व्यापार दोनों उन्नत अवस्था में थे। उनके समय में देश में शांति और स्थिरता बनी रही जिससे जनता समृद्ध रही।

सम्राट अशोक का उत्कर्ष

बिंदुसार के बाद उनके पुत्र अशोक ने लगभग 273 ईसा पूर्व में सत्ता संभाली। शुरू में अशोक एक पराक्रमी और कठोर शासक थे। उन्होंने कलिंग पर हमला किया जो उनका सबसे बड़ा युद्ध साबित हुआ। इस युद्ध में हज़ारों लोग मारे गए और लाखों घायल हुए। युद्ध की विभीषिका ने अशोक को झकझोर दिया।

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कलिंग युद्ध के बाद अशोक ने बौद्ध धर्म अपना लिया और अहिंसा का मार्ग चुना। उन्होंने युद्ध छोड़कर ‘धम्म’ की नीति पर चलना शुरू किया। अशोक ने पूरे भारत में शांति, सहिष्णुता और करुणा का संदेश फैलाया। उन्होंने बौद्ध धर्म को श्रीलंका, नेपाल, तिब्बत और सुदूर एशियाई देशों तक पहुंचाया।

अशोक के स्तंभ और शिलालेख

अशोक ने अपने धर्म संदेशों को जनता तक पहुंचाने के लिए स्तंभों और शिलालेखों का निर्माण कराया। ये शिलालेख ब्राह्मी और खरोष्ठी लिपियों में लिखे गए थे। इनमें नैतिकता, सत्य, करुणा और अहिंसा का प्रचार किया गया है। अशोक के बनाए स्तंभ आज भी कई स्थानों पर देखे जा सकते हैं जैसे सारनाथ और लौरीया नंदनगढ़ में।

अशोक के प्रशासन में अधिकारी ‘धम्म महामात्र’ कहलाते थे जिनका काम धर्म का प्रचार और जनता की भलाई करना था। उन्होंने जानवरों की हत्या को कम करने के लिए कानून बनाए और चिकित्सा व जल सुविधाओं की व्यवस्था करवाई।

मौर्य साम्राज्य की विशेषताएं और महत्व

मौर्य साम्राज्य भारत का पहला सबसे बड़ा और संगठित साम्राज्य था। इसने लगभग पूरे भारतीय उपमहाद्वीप को एक सत्ता के अंतर्गत लाया। मौर्य शासन की प्रशासनिक प्रणाली, कर व्यवस्था, और न्याय प्रणाली आज भी अध्ययन का विषय हैं।

सम्राट अशोक को भारत ही नहीं बल्कि विश्व इतिहास में महान सम्राटों में गिना जाता है। उनकी नीति और कार्यप्रणाली ने मौर्य साम्राज्य को न केवल राजनीतिक दृष्टि से बल्कि सांस्कृतिक और नैतिक रूप से भी मजबूत बनाया।

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