‘A Bunch of Old Letters’ यानी ‘पुरानी चिट्ठियों का एक गुच्छा’ पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा लिखी गई एक ऐतिहासिक किताब है जो केवल एक किताब नहीं बल्कि समय की परतों में छिपे हुए विचारों का संग्रह है। इस किताब में नेहरू जी ने 1889 से लेकर 1947 तक की अवधि में लिखी गई चिट्ठियों को संकलित किया है। ये चिट्ठियाँ उनके और उनके समकालीन नेताओं जैसे महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, रवींद्रनाथ ठाकुर और अन्य महत्वपूर्ण हस्तियों के बीच हुई बातचीत को दर्शाती हैं।
इतिहास के झरोखे से एक झलक
नेहरू जी की ये चिट्ठियाँ सिर्फ संवाद नहीं हैं बल्कि एक समय की गवाही हैं। इनमें उस दौर की राजनीति, संघर्ष, स्वतंत्रता संग्राम और भावनात्मक पहलुओं की झलक मिलती है। इन पत्रों के जरिए हम जान पाते हैं कि भारत की आज़ादी की लड़ाई के पीछे कितनी गहराई से विचार और चिंतन चलता था। चिट्ठियों में एक ओर जहां गांधी जी की अहिंसा की नीति दिखती है वहीं दूसरी ओर सुभाष चंद्र बोस के तेज़ आंदोलन की छाया भी नजर आती है।
नेहरू जी की लेखनी और भाषा का जादू
इन चिट्ठियों में पंडित नेहरू की भाषा बेहद भावनात्मक, सजीव और बौद्धिक है। उनकी शैली में अंग्रेजी साहित्य की गहराई और भारतीय संवेदना का सुंदर संगम है। उन्होंने सिर्फ राजनीतिक मुद्दों पर ही नहीं बल्कि सामाजिक समस्याओं, संस्कृति, विज्ञान, धर्म और मानवता पर भी विचार रखे हैं। उनकी चिट्ठियों से ये साफ झलकता है कि वह केवल एक राजनेता नहीं बल्कि एक दूरदर्शी चिंतक और सच्चे इंसान थे।
इंदिरा गांधी के नाम लिखी चिट्ठियाँ
इस किताब में एक खास स्थान है उन पत्रों का जो नेहरू जी ने अपनी बेटी इंदिरा गांधी को लिखे थे। जब इंदिरा छोटी थीं और पंडित नेहरू जेल में थे तब वे उन्हें हर सप्ताह एक पत्र भेजते थे जिसमें उन्होंने दुनिया के इतिहास, भूगोल, संस्कृति और मानवता के मूल्यों की बातें कीं। यह पत्र इंदिरा के लिए सिर्फ जानकारी नहीं बल्कि एक नैतिक और वैचारिक मार्गदर्शन थे। इन चिट्ठियों ने एक पिता और बेटी के रिश्ते को भी भावनात्मक रूप से जोड़े रखा।
आज के दौर में इस किताब का महत्व
आज जब पत्र लिखने की परंपरा लगभग खत्म हो चुकी है और संवाद डिजिटल हो गया है तब नेहरू जी की ये चिट्ठियाँ हमें यह याद दिलाती हैं कि एक पत्र में कितनी आत्मा होती है। ‘A Bunch of Old Letters’ केवल इतिहास के पन्ने नहीं बल्कि सोचने का एक तरीका हैं। आज के युवाओं को यह किताब ज़रूर पढ़नी चाहिए ताकि वे समझ सकें कि विचार, संवाद और संवेदना किसी भी समाज के निर्माण में कितनी जरूरी होती है।