Zero FIR: Zero FIR एक ऐसी प्राथमिकी है जो किसी भी पुलिस स्टेशन में दर्ज की जा सकती है, चाहे अपराध उस क्षेत्र में हुआ हो या नहीं। यह व्यवस्था 2012 के निर्भया कांड के बाद जस्टिस वर्मा समिति की सिफारिश पर लाई गई थी। BNSS की धारा 173(1) और CrPC की धारा 154 इसके कानूनी प्रावधान हैं।
Q1. Zero FIR क्या है?
उत्तर: Zero FIR एक ऐसी प्राथमिकी (FIR) होती है जिसे किसी भी पुलिस स्टेशन में दर्ज किया जा सकता है, भले ही अपराध उस पुलिस स्टेशन के क्षेत्राधिकार में न हुआ हो।
Q2. Zero FIR की अवधारणा कब और क्यों लाई गई?
उत्तर: 2012 के निर्भया कांड के बाद, जस्टिस वर्मा समिति ने Zero FIR की सिफारिश की थी ताकि पीड़िता को तुरंत न्याय मिल सके और पुलिस थाना क्षेत्राधिकार का बहाना न बना सके।
Q3. Zero FIR के लिए कौन-सा कानूनी प्रावधान BNSS में है?
उत्तर: भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 173(1) Zero FIR के प्रावधान को मान्यता देती है।
Q4. Zero FIR दर्ज होने के बाद क्या प्रक्रिया अपनाई जाती है?
उत्तर: Zero FIR दर्ज होने के 15 दिनों के भीतर इसे उस पुलिस स्टेशन को ट्रांसफर करना अनिवार्य है जिसके क्षेत्र में अपराध हुआ है, जैसा कि BNSS की धारा 173 में कहा गया है।
Q5. क्या CrPC में भी Zero FIR का प्रावधान था?
उत्तर: हां, दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 154 में भी Zero FIR दर्ज करने की व्यवस्था थी।