B-2 Stealth Bomber: कुछ दिनों पहले जब ईरान और इज़राइल के बीच युद्ध चल रहा था, तब अमेरिका भी इस लड़ाई में कूद पड़ा। इस दौरान अमेरिका ने ईरान के न्यूक्लियर बेस पर हमला किया और इस हमले के लिए उसने अपने सबसे खतरनाक हथियारों में से एक B-2 स्टील्थ बॉम्बर का इस्तेमाल किया। यह बमवर्षक विमान अपनी खामोश उड़ान, रडार से बचने की क्षमता और भारी हथियारों को ले जाने की ताकत के लिए जाना जाता है। इसकी सबसे खास बात ये है कि ये दुश्मन के गहरे से गहरे बंकर को भी आसानी से तबाह कर सकता है।
B-2 बॉम्बर की जानदार खासियतें
B-2 बॉम्बर एक ऐसा विमान है जो विशेष धातु से बना होता है और इसकी डिज़ाइन कुछ ऐसी होती है कि ये दुश्मन के रडार में दिखाई ही नहीं देता। इसे “फ्लाइंग विंग” कहा जाता है क्योंकि इसका आकार पंख जैसा होता है जो रडार की पकड़ में नहीं आता। इसमें 18 टन तक के हथियार ले जाए जा सकते हैं जिनमें परमाणु बम, गाइडेड मिसाइलें और पारंपरिक बम शामिल हैं। ये विमान बिना रीफ्यूलिंग के 11,000 किलोमीटर तक उड़ सकता है और हवा में ही ईंधन भरने की सुविधा भी इसमें होती है। इसकी कीमत भी चौंकाने वाली है — एक B-2 बॉम्बर की कीमत लगभग 2 बिलियन डॉलर होती है। ये विमान तकनीक और शक्ति दोनों का ऐसा मिश्रण है जिसे दुनिया का कोई दूसरा देश आज तक चुनौती नहीं दे पाया।
कौन उड़ाता है B-2 बॉम्बर
अब बात करते हैं कि इस बेहद खास और संवेदनशील विमान को उड़ाता कौन है। दरअसल, B-2 बॉम्बर को केवल US Air Force के चुने हुए और विशेष रूप से प्रशिक्षित पायलट ही उड़ाते हैं। इसमें दो पायलट होते हैं जो मिशन को अंजाम देते हैं। इन पायलट्स की ट्रेनिंग बेहद कठिन होती है। उन्हें विमान की हर एक तकनीकी बात, उड़ान के दौरान आपात स्थिति को कैसे संभालना है और कैसे मिशन को पूरा करना है, इन सभी चीजों की गहन जानकारी दी जाती है। यह ट्रेनिंग हफ्तों नहीं बल्कि महीनों और सालों तक चलती है और उसके बाद ही कोई पायलट इस विमान को उड़ाने की अनुमति पाता है।
कैसे चुने जाते हैं ऐसे पायलट
अब सवाल यह उठता है कि कोई आम इंसान B-2 बॉम्बर का पायलट कैसे बनता है। इसके लिए सबसे पहले US Air Force की बेसिक योग्यता पूरी करनी होती है जिसमें उम्र, शारीरिक फिटनेस, दृष्टि की क्षमता आदि शामिल हैं। फिर आता है Air Force Officer Qualification Test (AFOQT) जिसे पास करना जरूरी होता है। इसके बाद इंटरव्यू और मेडिकल टेस्ट होते हैं। जो उम्मीदवार इन सभी चरणों को पार कर लेते हैं उन्हें Undergraduate Pilot Training (UPT) दी जाती है जिसमें उन्हें पायलट बनने की अंतिम ट्रेनिंग दी जाती है। इस ट्रेनिंग के दौरान पायलट की परफॉर्मेंस के आधार पर तय किया जाता है कि वो कौन-सा विमान उड़ाएगा — और इसी में से कुछ चुनिंदा लोग होते हैं जिन्हें B-2 बॉम्बर की जिम्मेदारी दी जाती है।