Atheists People Countries: इस दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं। एक जो भगवान में विश्वास करते हैं और दूसरे जो ईश्वर के अस्तित्व को नहीं मानते। पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी ईसाइयों की है। उसके बाद मुस्लिमों की संख्या आती है जो तेजी से बढ़ रही है। इसके बाद दुनिया में नास्तिकों की एक बड़ी आबादी है। फिर हिंदू धर्म मानने वालों की संख्या आती है। दुनिया में बहुत सारे ऐसे देश हैं जहां सबसे अधिक लोग खुद को नास्तिक मानते हैं यानी वे किसी भी धर्म या ईश्वर में विश्वास नहीं करते। भारत में भी ऐसे लोगों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ रही है।
दुनिया में कितने हैं नास्तिक
दुनिया में करीब 190 करोड़ लोग खुद को नास्तिक मानते हैं। ये वो लोग हैं जो किसी भी धर्म से खुद को जोड़ना नहीं चाहते। साल 2010 में यह संख्या करीब 160 करोड़ थी और अब यह आंकड़ा 190 करोड़ तक पहुंच गया है। यानी पिछले 15 वर्षों में नास्तिकों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। अधिकतर नास्तिक वे होते हैं जो किसी धर्म में जन्म तो लेते हैं लेकिन बाद में ईश्वर में विश्वास करना छोड़ देते हैं। यह संख्या खासकर उन देशों में तेजी से बढ़ी है जहां ईसाई धर्म के लोग बहुसंख्या में रहते हैं।
किन देशों में सबसे अधिक हैं नास्तिक
दुनिया के कुल 89 प्रतिशत नास्तिक केवल 10 देशों में ही रहते हैं। इन देशों में सबसे आगे है चीन जहां अकेले 67 प्रतिशत नास्तिक रहते हैं। उसके बाद अमेरिका आता है जहां साल 2020 तक 10.09 करोड़ लोग खुद को नास्तिक मानते थे। जापान में 7.26 करोड़, वियतनाम में 6.64 करोड़, जर्मनी में 3.02 करोड़, रूस में 2.96 करोड़, ब्राज़ील में 2.81 करोड़, फ्रांस में 2.81 करोड़, ब्रिटेन में 2.71 करोड़ और दक्षिण कोरिया में 2.50 करोड़ नास्तिक पाए गए हैं। खास बात यह है कि फ्रांस और ब्रिटेन जैसे देशों में पहले 50 प्रतिशत लोग ईसाई धर्म से जुड़े थे लेकिन अब वहां करीब 40 प्रतिशत लोग खुद को किसी धर्म से जुड़ा हुआ नहीं मानते।
भारत में नास्तिकों की स्थिति
अगर भारत की बात करें तो साल 2020 तक यहां केवल 50,000 लोग ही खुद को नास्तिक मानते थे। जबकि 2010 में यह संख्या 30,000 थी। यानी पिछले 10 सालों में भारत में नास्तिकों की आबादी में 67 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। भारत में मुख्य रूप से बौद्ध धर्म से जुड़े 33 प्रतिशत लोग कहते हैं कि वे किसी भी धर्म में विश्वास नहीं करते। हालांकि भारत में धार्मिक मान्यताएं गहरी हैं और ईश्वर में विश्वास करने वालों की संख्या काफी अधिक है लेकिन धीरे-धीरे कुछ लोग ऐसे भी हो रहे हैं जो सवाल उठाते हैं और खुद को किसी भी धर्म से नहीं जोड़ते।