Hoisted Flag At Red Fort: 15 अगस्त को पूरा भारत देश का 79वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है। यह वही दिन है जब 1947 में देश को अंग्रेजों की गुलामी से आज़ादी मिली थी। इस दिन की सबसे बड़ी परंपरा है लाल किले से तिरंगे का फहराया जाना। पहली बार देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 15 अगस्त 1947 को लाल किले की प्राचीर से तिरंगा फहराया था। तब से लेकर आज तक हर वर्ष इसी परंपरा का पालन करते हुए प्रधानमंत्री लाल किले से तिरंगा फहराते हैं। इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12वीं बार यह गौरव हासिल करेंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पंडित नेहरू से पहले भी एक बार लाल किले पर तिरंगा फहराया जा चुका है?
मेजर जनरल शहनवाज खान की अनसुनी कहानी
स्वतंत्रता आंदोलन में कई ऐसे नायक हुए जिन्होंने देश के लिए अपना सर्वस्व बलिदान किया। कुछ नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गए, तो कुछ ऐसे भी रहे जिन्हें आज भी बहुत कम लोग जानते हैं। ऐसा ही एक नाम है मेजर जनरल शहनवाज खान का। उनकी कहानी बाकी क्रांतिकारियों से थोड़ी अलग है। वे नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बहुत करीबी थे और उनके नेतृत्व में ‘आज़ाद हिंद फौज’ में शामिल हुए। 1943 में उन्होंने आज़ाद हिंद फौज की सदस्यता ली और स्वतंत्रता की लड़ाई में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
ब्रिटिश झंडा हटाकर लाल किले पर तिरंगा फहराया
इतिहास के दस्तावेजों के अनुसार, मेजर जनरल शहनवाज खान वह पहले भारतीय थे जिन्होंने आज़ाद हिंद फौज के नेतृत्व में लाल किले से अंग्रेजों का झंडा हटाकर तिरंगा फहराया था। यह प्रतीकात्मक कार्य स्वतंत्रता की भावना को जगाने और देशवासियों को प्रेरित करने के लिए किया गया था। बहुत कम लोगों को यह जानकारी है कि शहनवाज खान बॉलीवुड के सुपरस्टार शाहरुख़ ख़ान के नाना भी थे। दरअसल, शाहरुख़ ख़ान की मां लतीफ फ़ातिमा को शहनवाज ख़ान ने गोद लिया था और उसी वजह से वे शाहरुख़ के नाना माने जाते हैं।
राजनीतिक जीवन में भी निभाई महत्त्वपूर्ण भूमिका
आज़ादी के बाद भी शहनवाज खान देश सेवा में लगे रहे। उन्होंने मेरठ से चार बार सांसद के रूप में प्रतिनिधित्व किया। 1952 से 1971 तक वे लगातार संसद का हिस्सा रहे और 23 वर्षों तक केंद्र सरकार में मंत्री रहे। 1952 में वे संसद सचिव और डिप्टी रेल मंत्री बने। इसके बाद उन्होंने कई मंत्रालयों की जिम्मेदारी निभाई और देश के विकास में योगदान दिया। लाल किले पर हर शाम होने वाले लाइट एंड साउंड शो में आज भी नेताजी के साथ उनकी आवाज़ गूंजती है, जो उनके योगदान की गवाही देती है। मेजर जनरल शहनवाज खान का जीवन वास्तव में देशभक्ति और सेवा की मिसाल है, जिसे आज के युवाओं को जानना और समझना चाहिए।