Ballimaran History: दिल्ली के बल्लीमारन की असली कहानी, नाम के पीछे का रहस्य जो शायद आपने कभी नहीं सुना होगा!

Ballimaran History: दिल्ली के बल्लीमारन की असली कहानी, नाम के पीछे का रहस्य जो शायद आपने कभी नहीं सुना होगा!

Ballimaran History: दिल्ली की पुरानी गलियाँ एक जीवित संग्रहालय जैसी हैं, जहाँ हर कोने में इतिहास और कहानियाँ छुपी हैं। उनमें से एक महत्वपूर्ण जगह है बल्लीमारान। आज यह जगह अपने चश्मों की दुकानों और जूते की दुकानों के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इसका नाम कैसे पड़ा। लोगों का मानना है कि यहाँ पहले बिल्ली मारने वाले रहते थे, लेकिन यह सच नहीं है। असल में नाम का इतिहास और भी दिलचस्प है। बल्लीमारान का अर्थ है ‘लंबी डंडियों का इस्तेमाल करने वाला’। मुग़ल काल में यमुना नदी बहुत गहरी नहीं थी और नाविकों की नाव की पैडल नदी के तट से टकरा जाती थी। इसलिए नाविक लंबी बाँस की डंडियों का इस्तेमाल करते थे। अधिकतर नाविक उसी इलाके में रहते थे जिसे अब हम बल्लीमारान के नाम से जानते हैं।

मुग़ल काल और कला कौशल

इन नाविकों का मुग़ल शाही परिवारों के साथ अच्छा संबंध था, जिससे उन्हें शहर में काफी प्रतिष्ठा मिली। समय के साथ नाविकों की संख्या घट गई और बल्लीमारान की पहचान एक नई कला से जुड़ गई: चांदी का जड़ाई काम। यहाँ के कारीगर इतने निपुण थे कि पूरे दिल्ली में कोई भी इनकी बराबरी नहीं कर सकता था। बल्लीमारान धीरे-धीरे व्यापार और शिल्प कौशल का केंद्र बन गया। यहाँ के कारीगरों की कला ने दिल्ली की पुरानी गलियों में नई पहचान बनाई और लोगों को आकर्षित किया।

बल्लीमारान से जुड़े महान व्यक्तित्व

बल्लीमारान केवल व्यापार और शिल्प कौशल के लिए ही प्रसिद्ध नहीं है, बल्कि यहाँ कई महान व्यक्तित्व भी जुड़े हैं। प्रसिद्ध उर्दू कवि मिर्ज़ा ग़ालिब पास की क़ासिम जान स्ट्रीट में रहते थे, जो बल्लीमारान का एक खूबसूरत हिस्सा है। आज ग़ालिब का घर हेरिटेज साइट में परिवर्तित हो चुका है और कविताप्रेमियों के लिए एक आकर्षक स्थल बन गया है। इसके अलावा कवि मौलाना हसरत मोहानी ने भी यहीं की गलियों से प्रेरणा ली और अपनी ग़ज़लें लिखीं। प्रसिद्ध चिकित्सक और स्वतंत्रता सेनानी हकीम अजमल खान का बड़ा घर भी यहीं था, जहाँ कांग्रेस नेताओं और क्रांतिकारियों का आना-जाना लगा रहता था। बाद में भारत के उपराष्ट्रपति और राष्ट्रपति बने जाकिर हुसैन भी बल्लीमारान के पास रहते थे और अक्सर यहाँ के हाफ़िज़ होटल में भोजन करते थे।

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बल्लीमारान की आज की पहचान

हालाँकि अब यहाँ नाविकों और चांदी के कारीगरों की हलचल नहीं दिखाई देती, लेकिन बल्लीमारान का क्षेत्र अपने बाजारों, पुरानी इमारतों और कविता तथा देशभक्ति की यादों के कारण खूबसूरत बना हुआ है। बाहर से यह केवल जूते और चश्मों की एक सामान्य सड़क लग सकती है, लेकिन जब आप इसकी गलियों में प्रवेश करते हैं, तो आपको कविताओं, स्वतंत्रता संग्राम और कला की कहानियों में खो जाने का अनुभव होता है। बल्लीमारान आज भी इतिहास और संस्कृति का प्रतीक है, जहाँ हर कदम पर दिल्ली की पुरानी यादें और महान व्यक्तित्वों की छाप महसूस की जा सकती है।

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