Centre-State Relations: भारत में केंद्र-राज्य संबंध, विधान, प्रशासनिक और वित्तीय मुद्दों की पूरी जानकारी

Centre-State Relations: भारत में केंद्र-राज्य संबंध, विधान, प्रशासनिक और वित्तीय मुद्दों की पूरी जानकारी

Centre-State Relations: भारत एक संघीय देश है जहाँ केंद्र और राज्य सरकारों के बीच शक्तियों का स्पष्ट वितरण होता है। केंद्र-राज्य संबंध तीन प्रमुख क्षेत्रों में देखे जाते हैं: विधान (Legislative), प्रशासनिक (Administrative), और वित्तीय (Financial)।

विधान संबंध (Legislative Relations)

भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत केंद्र और राज्यों के बीच विषयों का वितरण किया गया है। इसमें तीन सूची हैं:

  • केंद्र सूची (Union List) — विषय जिन पर केवल केंद्र कानून बना सकता है।

  • राज्य सूची (State List) — विषय जिन पर केवल राज्य सरकार कानून बना सकती है।

  • संयुक्त सूची (Concurrent List) — विषय जिन पर केंद्र और राज्य दोनों कानून बना सकते हैं।

यदि किसी विषय पर केंद्र और राज्य दोनों ने कानून बनाए, तो केंद्र का कानून प्राथमिकता रखता है। इस व्यवस्था से केंद्र-राज्य के बीच समन्वय बनाए रखना आसान होता है।

प्रशासनिक संबंध (Administrative Relations)

प्रशासनिक मामलों में केंद्र सरकार के अधीन राज्यों को निर्देश देने का अधिकार होता है, खासकर जब कोई संकट या असामान्य स्थिति होती है। केंद्र राज्य में राज्यपाल के माध्यम से भी प्रशासनिक प्रभाव डालता है। राज्यपाल केंद्र सरकार का प्रतिनिधि होते हैं और उन्हें संविधान के तहत विशेष शक्तियां प्राप्त हैं, जैसे कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करना।

वित्तीय संबंध (Financial Relations)

वित्तीय दृष्टिकोण से केंद्र-राज्य संबंध महत्वपूर्ण हैं क्योंकि राज्यों की आय सीमित होती है। केंद्र राज्यों को वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार अनुदान और टैक्स का वितरण करता है। राज्यों की आय का बड़ा हिस्सा केंद्र द्वारा दी जाने वाली वित्तीय सहायता पर निर्भर होता है। इससे राज्यों को विकास कार्यों में मदद मिलती है।

अंतर-राज्य परिषद (Inter-State Councils)

केंद्र और राज्यों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने के लिए संविधान ने अंतर-राज्य परिषद का प्रावधान किया है। इसकी स्थापना 1990 में हुई। इसका उद्देश्य केंद्र और राज्यों के बीच सहयोग, विवाद समाधान और नीति निर्धारण में सामंजस्य बनाना है। इस परिषद में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों और कुछ केंद्रीय मंत्रियों की भागीदारी होती है।

क्षेत्रीय परिषद (Zonal Councils)

भारत में पांच क्षेत्रीय परिषदें बनाई गई हैं — उत्तरी, दक्षिणी, पूर्वी, पश्चिमी और मध्य क्षेत्रीय परिषद। इन परिषदों का मुख्य उद्देश्य राज्यों के बीच आपसी सहयोग बढ़ाना, सीमा विवाद सुलझाना और क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देना है। ये परिषदें राज्यों को साझा समस्याओं के समाधान में मदद करती हैं।

राज्यपाल की भूमिका (Role of Governors)

राज्यपाल केंद्र सरकार के प्रतिनिधि होते हैं और राज्य में संवैधानिक तथा प्रशासनिक कार्यों का पालन सुनिश्चित करते हैं। उनकी कुछ मुख्य भूमिकाएँ हैं:

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