Christopher columbusका जन्म 1451 में इटली के जेनोआ शहर में हुआ था। वह बचपन से ही समुद्र और दूर-दराज की दुनिया को जानने में रुचि रखते थे। कोलंबस एक सामान्य परिवार से थे लेकिन उनका सपना बड़ा था। वह एशिया तक समुद्री मार्ग से पहुंचना चाहते थे ताकि वहां की मसाले और धन दौलत यूरोप लाया जा सके।
सपने को पंख मिले स्पेन से
कोलंबस ने कई यूरोपीय देशों से अपनी यात्रा के लिए मदद मांगी लेकिन सभी ने उसे नकार दिया। अंततः स्पेन की रानी इसाबेला और राजा फर्डिनेंड ने उसकी योजना को मंजूरी दी और उसे तीन जहाज दिए – नीन्या, पिंटा और सैंटा मारिया। साल 1492 में कोलंबस ने इन जहाजों के साथ अपनी ऐतिहासिक यात्रा शुरू की।
अमेरिका की खोज – एक संयोग
कोलंबस ने सोचा था कि वह एशिया पहुंचेगा लेकिन 12 अक्टूबर 1492 को वह बहामास के एक द्वीप पर पहुंचा जिसे उसने ‘इंडीज़’ समझ लिया। असल में वह अमेरिका के एक भाग पर पहुंच चुका था लेकिन उसे यह नहीं पता था। कोलंबस चार बार अमेरिका की ओर गया लेकिन वह कभी यह नहीं जान सका कि उसने एक नया महाद्वीप खोजा है।
स्थानीय लोगों के साथ संबंध
कोलंबस जब अमेरिका पहुंचा तो वहां के स्थानीय लोगों से उसका सामना हुआ। उसने उन्हें ‘इंडियन्स’ कहा क्योंकि वह सोच रहा था कि वह भारत पहुंच गया है। शुरुआत में संबंध ठीक रहे लेकिन बाद में कोलंबस और उसके साथियों ने स्थानीय लोगों पर अत्याचार किए। उनके संसाधनों का शोषण किया गया और बहुत से लोगों को गुलाम बना लिया गया।
कोलंबस की विरासत – विवाद और प्रभाव
कोलंबस की खोज ने दुनिया को बदल कर रख दिया। उसकी यात्रा के बाद यूरोप और अमेरिका के बीच संपर्क शुरू हुआ जिसे “कोलंबियन एक्सचेंज” कहा जाता है। इसके जरिए नई चीजें जैसे आलू, टमाटर और तंबाकू यूरोप पहुंचे। हालांकि कोलंबस की विरासत विवादों से घिरी रही। कुछ लोग उसे खोजकर्ता मानते हैं तो कुछ उसे विनाश का कारण मानते हैं।
क्रिस्टोफर कोलंबस इतिहास के सबसे प्रसिद्ध खोजकर्ताओं में से एक रहे हैं। उन्होंने एक ऐसा रास्ता दिखाया जिसने दुनिया के नक्शे को बदल दिया। उनकी यात्रा ने जहां एक ओर नई संभावनाओं के द्वार खोले वहीं दूसरी ओर कई विवादों को भी जन्म दिया। फिर भी कोलंबस का नाम हमेशा इतिहास में याद किया जाएगा।