Foreign Lawsuit In India: हाल ही में, फ्रांसीसी राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रॉन की पत्नी ब्रिजिट मैक्रॉन ने अमेरिकी अदालत में कैंडेस ओवेन्स के खिलाफ मानहानि (Defamation) का मुकदमा दर्ज किया। कैंडेस ओवेन्स, जो एक राइट-विंग अमेरिकी पॉडकास्टर हैं, ने दावा किया कि ब्रिजिट ट्रांसजेंडर हैं और पुरुष के रूप में जन्मीं थीं, लेकिन बाद में उन्होंने परिवर्तन किया। ब्रिजिट इस आरोप को पूरी तरह से झूठा और उनके मान-सम्मान के खिलाफ मानते हुए, वैज्ञानिक और फोटोग्राफिक सबूत अदालत में पेश करेंगी। यह मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हाई-प्रोफाइल बन चुका है और इसके साथ एक नया सवाल उठता है: क्या कोई विदेशी नागरिक इंडिया में भी इसी तरह का मुकदमा दर्ज कर सकता है?
भारत में मानहानि कानून
भारत में मानहानि (Defamation) अपराध और दीवानी अपराध दोनों के अंतर्गत आती है। भारतीय दंड संहिता की धारा 500 और 501 के तहत यह अपराध माना जाता है। भारत में विदेशी नागरिक भी कुछ शर्तों के तहत मानहानि का मुकदमा दर्ज कर सकते हैं। मुख्य शर्त यह है कि मानहानिकर सामग्री भारत में प्रकाशित या प्रसारित होनी चाहिए, जिससे भारत में किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचे। भारतीय न्यायालयों के पास यह अधिकार है कि यदि मानहानिकर सामग्री भारत तक पहुँचती है या भारत में किसी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाती है, तो वे इस मामले में सुनवाई कर सकते हैं।
विदेशी नागरिकों के लिए भारत में मुकदमा दर्ज करने की प्रक्रिया
यदि कोई विदेशी नागरिक भारत में मुकदमा दर्ज करना चाहता है, तो उसे यह साबित करना होगा कि मानहानिकर सामग्री के कारण भारत में उन्हें वास्तविक नुकसान हुआ है। इसके लिए उन्हें प्रकाशन, सोशल मीडिया पोस्ट, डिजिटल कंटेंट आदि के सबूत प्रस्तुत करने होंगे जो भारत में उपलब्ध हों। भारतीय न्यायालय इस मामले में लिखित बयान, पहचान सत्यापन और सामग्री के भारत में प्रसार का प्रमाण मांगेगा। यदि विदेशी नागरिक उचित सबूत पेश कर पाए, तो वे सिविल कोर्ट में मुआवजे की मांग भी कर सकते हैं।
अमेरिकी मुकदमे और भारत की तुलना
अमेरिका में ब्रिजिट मैक्रॉन ने मुकदमा उसी न्यायालय में दर्ज किया, जहाँ कथित मानहानि हुई थी। भारत में भी विदेशी नागरिकों को यह साबित करना होगा कि उनकी प्रतिष्ठा को भारत में नुकसान पहुंचा। प्रक्रिया अमेरिका के मुकदमे की तुलना में थोड़ी जटिल हो सकती है, क्योंकि भारतीय न्यायालय साक्ष्य, पहचान और सामग्री के प्रसार के प्रमाण पर विशेष ध्यान देता है। फिर भी, यदि विदेशी नागरिक सही सबूत प्रस्तुत कर देते हैं, तो भारत में भी उन्हें मुकदमा दर्ज करने और मुआवजा प्राप्त करने का अधिकार है। यह मामला स्पष्ट करता है कि अंतरराष्ट्रीय मानहानि मामले में भारत की कानूनी प्रणाली भी विदेशी नागरिकों को कुछ हद तक न्याय प्रदान कर सकती है।