कसौली से लैंडौर तक! Ruskin Bond की अनसुनी जिंदगी की यात्रा

कसौली से लैंडौर तक! Ruskin Bond की अनसुनी जिंदगी की यात्रा

Ruskin Bond का जन्म 19 मई 1934 को हिमाचल प्रदेश के कसौली में हुआ था। उनका बचपन भारत में ही बीता लेकिन वे ब्रिटिश मूल के हैं। जब वे छोटे थे तो उनके माता-पिता अलग हो गए थे और इस कारण उनका जीवन संघर्षों से भरा रहा। उन्होंने देहरादून के ‘बिशप कॉटन स्कूल’ से पढ़ाई की और बचपन से ही किताबें पढ़ने और लिखने का शौक रखने लगे। उन्होंने मात्र 17 साल की उम्र में ही अपनी पहली कहानी लिखी जो आगे चलकर एक किताब बनी।

पहली किताब से पहचान

रस्किन बॉन्ड की पहली किताब “The Room on the Roof” थी जो उन्होंने इंग्लैंड में रहते हुए लिखी थी। यह उपन्यास एक किशोर लड़के की कहानी है जो अपनी पहचान और आज़ादी की तलाश करता है। इस किताब के लिए उन्हें जॉन लेवेलिन राइस पुरस्कार भी मिला। यह उनके लेखन करियर का टर्निंग पॉइंट बन गया और इसके बाद उन्होंने भारत लौटने का फैसला किया।

पहाड़ों से गहरा जुड़ाव

भारत लौटने के बाद रस्किन बॉन्ड ने मसूरी और लैंडौर जैसे शांत पहाड़ी इलाकों को अपना घर बना लिया। उनके अधिकतर लेखन में पहाड़ों की प्रकृति, वहां के लोग और उनके अनुभवों की झलक देखने को मिलती है। उनकी कहानियाँ सरल होती हैं लेकिन उनमें गहरी संवेदनाएं छुपी होती हैं। बच्चे, जानवर, पेड़-पौधे और आम लोग उनकी रचनाओं के मुख्य पात्र होते हैं।

बच्चों के प्रिय लेखक

रस्किन बॉन्ड को भारत में खासतौर पर बच्चों के लेखक के रूप में जाना जाता है। उनकी कहानियाँ बच्चों की दुनिया को बेहद सरलता से और सच्चाई के साथ चित्रित करती हैं। उनकी कुछ प्रमुख कहानियाँ जैसे “The Blue Umbrella”, “Rusty the Boy from the Hills”, और “A Flight of Pigeons” आज भी स्कूली किताबों में पढ़ाई जाती हैं। उनकी कई कहानियों पर फिल्में भी बनी हैं जैसे “ब्लू अम्ब्रेला” और “जुनून”।

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सम्मान और उपलब्धियाँ

रस्किन बॉन्ड को उनके अद्वितीय साहित्यिक योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार (1992), पद्मश्री (1999) और पद्म भूषण (2014) जैसे प्रतिष्ठित सम्मान मिल चुके हैं। वे आज भी लेखन कर रहे हैं और नई पीढ़ी को सरलता, ईमानदारी और भावनाओं से भरपूर साहित्य दे रहे हैं।

रस्किन बॉन्ड केवल एक लेखक नहीं बल्कि भारतीय साहित्य की आत्मा हैं जिन्होंने हर उम्र के पाठकों को कुछ न कुछ दिया है। उनकी कहानियाँ हमें यह सिखाती हैं कि जीवन की असली सुंदरता सादगी, प्रकृति और छोटे-छोटे पलों में छुपी होती है। वे आज भी लैंडौर में रहते हैं और अपने शब्दों के माध्यम से लाखों दिलों को छू रहे हैं।

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