Ganga River System: गंगा नदी का भौगोलिक और धार्मिक महत्व, जानिए इसकी सफाई और संरक्षण की जरूरत

Ganga River System: गंगा नदी का भौगोलिक और धार्मिक महत्व, जानिए इसकी सफाई और संरक्षण की जरूरत

Ganga River System: गंगा नदी भारत की सबसे प्रमुख और पवित्र नदियों में से एक है। इसे भारतीय संस्कृति और धार्मिक विश्वासों में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। गंगा नदी प्रणाली का विस्तार बहुत बड़ा है और यह न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि भौगोलिक और आर्थिक रूप से भी महत्वपूर्ण है। आइए जानें गंगा नदी की उद्गम, उसका मार्ग, सहायक नदियाँ और पंच प्रयाग के बारे में।

गंगा नदी का उद्गम

गंगा नदी का उद्गम स्थल उत्तराखंड राज्य के गौमुख क्षेत्र में गंगोत्री ग्लेशियर है। गंगोत्री ग्लेशियर से निकलने वाली इस नदी को प्रारंभ में भागीरथी कहा जाता है। भागीरथी नदी हिमालय की बर्फीली चोटियों से निकलती है और कई नदियों के संगम के बाद इसे गंगा के नाम से जाना जाता है। इसे पवित्र नदी माना जाता है क्योंकि हिन्दू धर्म में इसका धार्मिक महत्व बहुत अधिक है।

गंगा नदी का मार्ग

गंगा नदी उत्तराखंड के बाद उतर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश से होकर गुजरती है। यह लगभग 2525 किलोमीटर लंबी नदी है। गंगा नदी का जल कृषि, उद्योग, जीवनयापन और धार्मिक कार्यों में व्यापक रूप से उपयोग होता है। गंगा नदी की घाटी उपजाऊ होने के कारण यहाँ कृषि अत्यंत फल-फूल रही है।

सहायक नदियाँ

गंगा नदी की कई सहायक नदियाँ हैं जो इसके जल प्रवाह को बढ़ाती हैं। प्रमुख सहायक नदियाँ हैं-

  • यमुना: यह गंगा की सबसे बड़ी सहायक नदी है, जो उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद (प्रयागराज) में गंगा में मिलती है।

  • गोमती: यह लखनऊ के पास से होकर गुजरती है और गंगा नदी में मिलती है।

  • सोन: यह मध्य भारत की प्रमुख सहायक नदी है।

  • घाघरा, कर्णाली और गंडक: ये नदियाँ नेपाल से निकलकर गंगा में मिलती हैं।

  • रामगंगा, कालीगंगा, और चौहान जैसी नदियाँ भी इसके प्रवाह में शामिल होती हैं।

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पंच प्रयाग

पंच प्रयाग उत्तराखंड में गंगा के पांच प्रमुख संगम स्थलों को कहा जाता है, जहाँ पांच नदियाँ गंगा से मिलती हैं। ये धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र स्थल हैं और यहां श्रद्धालुओं का आना-जानना लगा रहता है। पंच प्रयाग निम्नलिखित हैं-

  1. वेदप्रयाग: यहाँ भागीरथी और अलकनंदा नदियाँ मिलती हैं और गंगा का रूप ग्रहण करती हैं।

  2. नंदप्रयाग: यहाँ अलकनंदा नदी में नंदा गंगा मिलती है।

  3. खरसुनी प्रयाग: यह प्रयाग अलकनंदा और खरसुनी नदियों के संगम स्थल है।

  4. दिलकुश प्रयाग: यहाँ अलकनंदा नदी और पुष्पगंगा नदी मिलती हैं।

  5. रुद्रप्रयाग: यह प्रयाग अलकनंदा और मंदाकिनी नदियों के संगम स्थल के रूप में जाना जाता है।

गंगा नदी केवल एक भौगोलिक तत्व नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, जीवन और धार्मिक आस्था की पहचान है। इसका उद्गम हिमालय की चोटियों से होता है और यह कई राज्यों और देशों से होकर गुजरती है। इसकी सहायक नदियाँ इसे जीवनदायिनी बनाती हैं, जो कृषि, उद्योग और दैनिक जीवन को सींचती हैं। पंच प्रयाग जैसे पवित्र स्थल गंगा की धार्मिक महत्ता को दर्शाते हैं। गंगा नदी की सफाई और संरक्षण आज का सबसे महत्वपूर्ण विषय है, ताकि यह पावन धारा आने वाली पीढ़ियों के लिए भी जीवनदान बनी रहे।