General Knowledge: बुलेट ट्रेन की नुकीली नाक सिर्फ डिज़ाइन नहीं, इसके पीछे छिपी है गहरी वैज्ञानिक सोच

General Knowledge: बुलेट ट्रेन की नुकीली नाक सिर्फ डिज़ाइन नहीं, इसके पीछे छिपी है गहरी वैज्ञानिक सोच

General Knowledge: भारत में भले ही बुलेट ट्रेन अभी शुरू नहीं हुई है, लेकिन इसकी रफ्तार और अनोखे डिज़ाइन ने पहले ही लोगों को आकर्षित कर लिया है। विशेष रूप से इसके आगे का लंबा और नुकीला हिस्सा, जिसे देखकर लगता है मानो किसी पक्षी की चोंच हो। पर क्या आपने कभी सोचा है कि ट्रेन के आगे का ये हिस्सा ऐसा क्यों बनाया गया है? क्या ये सिर्फ दिखावे के लिए है या इसके पीछे कोई वैज्ञानिक कारण छिपा है? दरअसल, इस डिज़ाइन के पीछे एक दिलचस्प और तकनीकी कहानी है।

तेज़ रफ्तार के साथ आई एक अनचाही समस्या

1990 के दशक में जब जापान में बुलेट ट्रेन की रफ्तार काफी बढ़ाई गई, तो एक नई और अप्रत्याशित समस्या सामने आई। जब ट्रेन किसी सुरंग (tunnel) में प्रवेश करती थी, तो सुरंग के अंदर तेजी से हवा दबती और जब वह हवा दूसरी ओर से निकलती, तो एक जोरदार धमाके जैसी आवाज सुनाई देती। यह आवाज इतनी तेज़ होती थी कि आसपास रहने वाले लोग चौंक जाते और कई बार इसे विस्फोट समझ बैठते।

ये समस्या कोई खराबी नहीं, बल्कि विज्ञान का असर थी

दरअसल, यह किसी तकनीकी खराबी का परिणाम नहीं था, बल्कि हवा के दबाव का प्रभाव था। जब कोई तेज रफ्तार ट्रेन किसी संकरी सुरंग में जाती है, तो उसके सामने की हवा अचानक सिकुड़ती है और एक तेज धक्का देती है। यह धक्का एक शक्तिशाली ध्वनि तरंग (shockwave) बनाता है, जो सुरंग के अंत में धमाके जैसी आवाज पैदा करता है। इस परेशानी को हल करने के लिए वैज्ञानिकों ने काफी रिसर्च की।

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बर्ड-शेप डिज़ाइन बना समाधान

इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए इंजीनियरों ने पक्षियों की उड़ान से प्रेरणा ली, विशेष रूप से किंगफिशर नामक पक्षी से, जो पानी में तेज़ी से गोता लगाकर शिकार करता है और पानी में बिना छींटे डाले प्रवेश करता है। इसी से प्रेरित होकर बुलेट ट्रेन का आगे का हिस्सा लंबा और नुकीला बनाया गया। यह डिज़ाइन हवा के दबाव को आसानी से काट देता है और सुरंग में प्रवेश के समय धमाके जैसी आवाज नहीं आने देता। इस प्रकार, यह डिज़ाइन सिर्फ खूबसूरत नहीं, बल्कि वैज्ञानिक रूप से भी बेहद कारगर है।

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