General Knowledge: भारत में संसद सत्र वह अवधि होती है जब संसद नियमित रूप से बैठती है और देश से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करती है। संसद के सत्रों की योजना और आयोजन एक व्यवस्थित प्रक्रिया के तहत किया जाता है, जिसमें राष्ट्रपति, केंद्रीय मंत्रिमंडल और संसदीय कार्य मंत्रालय की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। हर सत्र की तिथि पहले से तय की जाती है ताकि सांसद अपने कार्यक्रम उसी अनुसार तय कर सकें। संसद की कार्यवाही में सांसदों की उपस्थिति अनिवार्य होती है। संसद में कुल मिलाकर तीन नियमित सत्र होते हैं: बजट सत्र, मानसून सत्र और शीतकालीन सत्र। इसके अलावा यदि विशेष परिस्थितियाँ उत्पन्न होती हैं तो एक विशेष सत्र भी बुलाया जा सकता है।
बजट सत्र: संसद का सबसे महत्वपूर्ण सत्र
साल का पहला और सबसे अहम सत्र होता है बजट सत्र, जो आमतौर पर फरवरी से मई के बीच आयोजित होता है। इस सत्र की शुरुआत राष्ट्रपति के अभिभाषण से होती है, जिसमें सरकार की नीतियों और आगामी योजनाओं की रूपरेखा पेश की जाती है। इसके बाद वित्त मंत्री वित्तीय वर्ष का बजट पेश करते हैं। यह सत्र दो चरणों में चलता है—पहला चरण बजट की प्रस्तुति और सामान्य चर्चा का होता है, जबकि दूसरा चरण विनियोग विधेयक (Appropriation Bill) और वित्त विधेयक (Finance Bill) पर चर्चा और पारित करने का होता है। इस सत्र में देश की आर्थिक दिशा और विकास की प्राथमिकताओं को तय किया जाता है।
मानसून सत्र: विधायी कार्यों की भरमार
मानसून सत्र आमतौर पर जुलाई से अगस्त या सितंबर तक चलता है। इस सत्र का उद्देश्य मुख्य रूप से विधायी कार्य करना और सरकार से जवाबदेही सुनिश्चित करना होता है। इस दौरान संसद में विभिन्न विधेयक प्रस्तुत किए जाते हैं, जिन पर बहस होती है और आवश्यक होने पर उन्हें पारित भी किया जाता है। इस सत्र में प्रश्नकाल और शून्यकाल के माध्यम से सांसद सरकार से ज्वलंत मुद्दों पर सवाल पूछते हैं और जवाब मांगते हैं। मानसून सत्र वर्ष का ऐसा समय होता है जब संसद में बहसें और चर्चाएँ सबसे अधिक देखने को मिलती हैं।
शीतकालीन और विशेष सत्र: समीक्षा और आकस्मिकता के लिए
शीतकालीन सत्र नवंबर से दिसंबर के बीच होता है और यह साल का अंतिम मुख्य सत्र होता है। इस सत्र में आम तौर पर नीति समीक्षा, लंबित विधेयकों पर चर्चा और नए कानूनों का पारित किया जाना होता है। इसमें भी प्रश्नकाल और शून्यकाल के माध्यम से जनहित के मुद्दे उठाए जाते हैं। इसके अलावा, यदि कभी देश में आपातकालीन परिस्थिति हो या राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा कोई महत्वपूर्ण मुद्दा सामने आए, तो विशेष सत्र बुलाया जा सकता है। यह सत्र केवल राष्ट्रपति की अनुमति और मंत्रिमंडल की सिफारिश पर ही बुलाया जाता है। यह सत्र संसद की विशेष शक्ति और लचीलापन को दर्शाता है, जिससे वह समय-समय पर आवश्यक निर्णय ले सके।