GMT: भारत में GMT +5:30 क्यों? जानिए समय क्षेत्रों का विज्ञान और इतिहास

GMT: भारत में GMT +5:30 क्यों? जानिए समय क्षेत्रों का विज्ञान और इतिहास

GMT: जब हम समय क्षेत्र (Time Zones) और अंतरराष्ट्रीय समय की बात करते हैं, तो अक्सर हमें GMT शब्द सुनने को मिलता है। GMT यानी Greenwich Mean Time, दुनिया में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला समय मानक (time standard) है। यह दुनिया को एक साथ सिंक्रोनाइज़ (समान समय पर चलाने) रखने में मदद करता है, खासकर यात्रा, संचार और वैश्विक व्यापार में।

GMT का फुल फॉर्म क्या है?

GMT का पूरा नाम है Greenwich Mean Time। यह समय उस औसत (mean) सौर समय को दर्शाता है जब सूर्य रॉयल ऑब्ज़र्वेटरी, ग्रीनविच, लंदन के प्राइम मेरिडियन (Prime Meridian) को पार करता है। प्राइम मेरिडियन वह रेखा है जो पृथ्वी को पूर्वी और पश्चिमी गोलार्धों में बाँटती है। इसलिए, GMT को वैश्विक समय मापन के लिए मुख्य संदर्भ माना जाता है।

GMT का इतिहास

GMT की शुरुआत 19वीं सदी में हुई। इसे आधिकारिक रूप से 1884 में वाशिंगटन डी.सी. में हुए अंतरराष्ट्रीय मेरिडियन सम्मेलन (International Meridian Conference) में अपनाया गया था। उस समय ग्रीनविच को “प्राइम मेरिडियन” चुना गया क्योंकि यह नौवहन और खगोल विज्ञान (astronomy) में महत्वपूर्ण था। इससे पहले, हर देश या शहर का अपना स्थानीय समय होता था, जिससे समन्वय करना मुश्किल था। GMT ने एक समान समय प्रणाली स्थापित की, जो पूरी दुनिया में स्वीकार की गई।

GMT का महत्व

GMT ने पूरी दुनिया में समय क्षेत्र (time zones) निर्धारित करने की नींव रखी। सभी समय क्षेत्र GMT के आगे या पीछे होते हैं। उदाहरण के लिए, भारत GMT +5:30 समय क्षेत्र में आता है, जिसका मतलब है कि भारत का समय ग्रीनविच मीन टाइम से 5 घंटे 30 मिनट आगे है।

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GMT क्यों जरूरी है?

यह प्रणाली विभिन्न क्षेत्रों में वैश्विक समन्वय को संभव बनाती है, जैसे:

इस तरह GMT ने दुनिया को एक साथ जोड़ने और समय के सही और सटीक प्रबंधन में अहम भूमिका निभाई है।