Indian Music: भारतीय संगीत दुनिया की सबसे पुरानी और समृद्ध परंपराओं में से एक है। इसकी जड़ें वेदों और उपनिषदों में मिलती हैं जहां ऋषि-मुनियों ने संगीत को साधना और योग का हिस्सा माना। ‘सामवेद’ को संगीत का मूल स्रोत कहा जाता है क्योंकि उसमें मंत्रों को गाकर पढ़ने की परंपरा थी। उस समय संगीत सिर्फ मनोरंजन का माध्यम नहीं बल्कि आत्मा की शुद्धि और भगवान से जुड़ने का एक तरीका था।
दो प्रमुख शाखाएं: शास्त्रीय संगीत की दुनिया
भारतीय संगीत दो मुख्य शाखाओं में बंटा हुआ है – हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत (उत्तर भारत) और कर्नाटक संगीत (दक्षिण भारत)।
हिंदुस्तानी संगीत में ख्याल, ठुमरी, दादरा, ग़ज़ल और ध्रुपद जैसे कई रूप हैं जबकि कर्नाटक संगीत में रागों की अधिक गहराई और तकनीकी जटिलता पाई जाती है।
इन दोनों परंपराओं में राग और ताल की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। राग वह ध्वनि है जो भावनाओं को जन्म देती है और ताल उसकी गति तय करता है।
लोक संगीत: हर क्षेत्र की अपनी धुन
भारत की सांस्कृतिक विविधता के कारण हर राज्य और क्षेत्र का अपना लोक संगीत है। राजस्थान का मांड और पधारो म्हारे देश, पंजाब का भांगड़ा और गिद्धा, महाराष्ट्र का लावणी, बंगाल का बाउल और असम का बिहू – ये सभी लोक संगीत भारत की मिट्टी से जुड़े हुए हैं।
लोक संगीत जीवन के पर्वों, फसलों, युद्ध, प्रेम और भक्ति की कहानियों को सरल शब्दों और मधुर धुनों में बयां करता है।
आधुनिक संगीत का प्रभाव और फिल्म संगीत
भारतीय फिल्म संगीत ने भी देश के संगीत को एक नई पहचान दी है। 1930 के दशक से शुरू हुआ फिल्मी गानों का सफर आज हजारों धुनों और गीतों के रूप में हर पीढ़ी के दिल में बसा है।
लता मंगेशकर, मोहम्मद रफ़ी, किशोर कुमार, आशा भोंसले जैसे दिग्गज गायकों से लेकर ए.आर. रहमान, अरिजीत सिंह और श्रेया घोषाल तक – भारतीय संगीत का रूप समय के साथ बदलता रहा है लेकिन इसकी आत्मा आज भी उतनी ही गहरी है।
विश्व मंच पर भारतीय संगीत की पहचान
आज भारतीय संगीत सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में पसंद किया जा रहा है। योग, ध्यान और आयुर्वेद की तरह ही भारतीय संगीत को भी पश्चिमी देशों में अपनाया जा रहा है। कई विदेशी कलाकार भी राग, सितार, तबला और शास्त्रीय गायन की शिक्षा ले रहे हैं।
पंडित रविशंकर, उस्ताद ज़ाकिर हुसैन, और ए.आर. रहमान जैसे कलाकारों ने भारतीय संगीत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है।
भारतीय संगीत सिर्फ सुरों का मेल नहीं बल्कि यह आत्मा को छू लेने वाली साधना है। यह हमारी संस्कृति, परंपरा और भावनाओं का प्रतिबिंब है। समय चाहे बदल जाए लेकिन संगीत की धुनें दिलों में हमेशा अमर रहती हैं।