Indus Valley Civilization: हजारों साल पुरानी सभ्यता के रहस्य! सिंधु घाटी के खोए हुए नगरों की दास्तान

Indus Valley Civilization: हजारों साल पुरानी सभ्यता के रहस्य! सिंधु घाटी के खोए हुए नगरों की दास्तान

Indus Valley Civilization:  सिंधु घाटी सभ्यता भारत के इतिहास की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक मानी जाती है। यह सभ्यता लगभग 3300 ईसा पूर्व से 1300 ईसा पूर्व तक फली-फूली थी। इसका विस्तार वर्तमान भारत और पाकिस्तान के सिंधु नदी क्षेत्र में फैला हुआ था। हड़प्पा और मोहनजोदड़ो इसके सबसे प्रसिद्ध शहरों में से हैं। सिंधु घाटी की खोज ने इतिहासकारों को यह समझने का मौका दिया कि हजारों साल पहले भी लोग संगठित और उन्नत जीवन जीते थे।

नगर नियोजन और वास्तुकला

सिंधु घाटी सभ्यता की सबसे बड़ी विशेषता थी इसका उत्कृष्ट नगर नियोजन। उनके शहर ग्रिड प्रणाली पर बनाए गए थे यानी सड़कें एक-दूसरे को समकोण पर काटती थीं। हर घर में जल निकासी व्यवस्था थी और गलियों के किनारे पक्के नाले बनाए गए थे। लोग पक्की ईंटों के घरों में रहते थे जो इस बात का प्रमाण है कि उस समय निर्माण तकनीक काफी विकसित थी। मोहनजोदड़ो का ‘ग्रेट बाथ’ यानी विशाल स्नानागार इसका बेहतरीन उदाहरण है।

Indus Valley Civilization: हजारों साल पुरानी सभ्यता के रहस्य! सिंधु घाटी के खोए हुए नगरों की दास्तान

जीवनशैली और व्यवसाय

सिंधु घाटी के लोग कृषक समाज के थे। वे गेहूं, जौ, कपास और चावल की खेती करते थे। व्यापार भी सभ्यता का एक अहम हिस्सा था। मोतियों, धातु के बर्तनों और कपड़ों का व्यापार दूर देशों तक होता था। लोगों ने बैलगाड़ियों का उपयोग भी किया और समुद्री रास्तों से भी व्यापारिक संबंध स्थापित किए। उनके द्वारा बनाए गए खिलौने, मुहरें और मूर्तियाँ आज भी संग्रहालयों की शोभा बढ़ाते हैं।

धर्म और संस्कृति

सिंधु घाटी के लोग प्रकृति पूजा में विश्वास करते थे। वे पीपल के पेड़, पशुओं और जल स्रोतों को पूजते थे। कुछ मुहरों पर योग मुद्रा में बैठे व्यक्ति की आकृति भी मिली है जिसे ‘पशुपति महादेव’ का प्राचीन रूप माना जाता है। स्त्री देवी की मूर्तियाँ यह संकेत देती हैं कि वे ‘माता देवी’ की पूजा भी करते थे। यह संस्कृति गहराई से आध्यात्मिक और पर्यावरण के प्रति सजग थी।

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पतन के कारण

सिंधु घाटी सभ्यता के पतन के कई कारण बताए जाते हैं। जलवायु परिवर्तन, नदियों का मार्ग बदलना, विदेशी आक्रमण और आंतरिक अव्यवस्था को इसके पतन का मुख्य कारण माना जाता है। जैसे-जैसे समय बीतता गया लोग इन क्षेत्रों को छोड़कर दूसरी जगहों पर बसने लगे। परंतु इस सभ्यता की चमक आज भी हमारे इतिहास के पन्नों में जीवित है।

सिंधु घाटी सभ्यता हमारे गौरवशाली अतीत का प्रतीक है। यह साबित करती है कि भारतीय उपमहाद्वीप में सभ्यता और संस्कृति का विकास विश्व के सबसे पुराने केंद्रों में से एक था। उनकी उपलब्धियाँ आज भी हमें आश्चर्यचकित करती हैं और हमें अपने इतिहास पर गर्व करने का अवसर देती हैं।

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