International Asteroid Day: हर साल 30 जून को अंतरराष्ट्रीय क्षुद्रग्रह दिवस (International Asteroid Day) मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों को क्षुद्रग्रहों यानी ऐस्टरॉइड्स के बारे में जागरूक करना है और यह समझाना है कि ये पिंड धरती के लिए किस हद तक खतरा बन सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2016 में इस दिन को आधिकारिक मान्यता दी थी और तभी से इसे दुनियाभर में मनाया जा रहा है।
30 जून ही क्यों चुना गया?
30 जून 1908 को रूस के साइबेरिया में तुंगुस्का नामक स्थान पर एक बहुत बड़ा विस्फोट हुआ था। यह विस्फोट इतना भयानक था कि लगभग 2,000 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र जंगलों से साफ हो गया। माना जाता है कि यह विस्फोट किसी छोटे क्षुद्रग्रह या धूमकेतु के टकराने से हुआ था। इसी ऐतिहासिक घटना की याद में 30 जून को अंतरराष्ट्रीय क्षुद्रग्रह दिवस के रूप में चुना गया।
क्यों है क्षुद्रग्रहों से खतरा?
क्षुद्रग्रह ऐसे चट्टानी पिंड होते हैं जो मुख्य रूप से मंगल और बृहस्पति ग्रहों के बीच मौजूद एक बेल्ट (Asteroid Belt) में पाए जाते हैं। कई बार इनकी कक्षा बदल जाती है और ये पृथ्वी की ओर बढ़ने लगते हैं। अगर कोई बड़ा क्षुद्रग्रह धरती से टकरा जाए तो वह जान-माल की भारी क्षति कर सकता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि 6.5 करोड़ साल पहले भी पृथ्वी से एक विशाल क्षुद्रग्रह की टक्कर के कारण डायनासोर का अंत हुआ था।
जागरूकता क्यों जरूरी है?
हालांकि आजकल की तकनीक इतनी उन्नत हो चुकी है कि वैज्ञानिक अंतरिक्ष में घूम रहे क्षुद्रग्रहों पर नजर रख सकते हैं, फिर भी समय पर चेतावनी देना और उनसे निपटने की रणनीति बनाना बेहद जरूरी है। अंतरराष्ट्रीय क्षुद्रग्रह दिवस पर वैज्ञानिकों द्वारा वेबिनार, कार्यशालाएं और सार्वजनिक व्याख्यान आयोजित किए जाते हैं ताकि आम जनता को यह बताया जा सके कि ये अंतरिक्ष पिंड कैसे काम करते हैं और हम उनसे कैसे बच सकते हैं।
भविष्य की तैयारी
NASA, ESA और अन्य स्पेस एजेंसियां क्षुद्रग्रहों की दिशा को बदलने के लिए Planetary Defense सिस्टम पर काम कर रही हैं। हाल ही में NASA ने DART मिशन लॉन्च किया, जिसमें एक अंतरिक्ष यान को एक क्षुद्रग्रह से टकरा कर उसकी दिशा बदलने की कोशिश की गई। यह एक ऐतिहासिक प्रयोग था जो भविष्य में धरती को संभावित खतरों से बचाने के लिए बेहद अहम माना जा रहा है।
अंतरराष्ट्रीय क्षुद्रग्रह दिवस सिर्फ एक दिन नहीं है बल्कि यह हमें चेताता है कि हमें अंतरिक्ष से आने वाले खतरों को गंभीरता से लेना चाहिए। यह दिन विज्ञान और तकनीक की मदद से मानवता को भविष्य में आने वाली आपदाओं से बचाने का संदेश देता है।