Maharaja Digvijaysinhji of Jamnagar: जामनगर के महाराज दिग्विजयसिंहजी, जिन्हें ‘अच्छे महाराज’ के नाम से भी जाना जाता है, का नाम इतिहास में उनकी मानवीयता और उदारता के लिए सदैव याद किया जाएगा। महाराज दिग्विजयसिंहजी ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अपनी न केवल प्रजा बल्कि विदेशियों के प्रति भी अद्वितीय दया और करुणा का परिचय दिया। जब पोलैंड पर नाजियों का आक्रमण हुआ और वहां के बच्चे अनाथ और बेसहारा हो गए, तब महाराज दिग्विजयसिंहजी ने अपनी भूमि पर इन बच्चों को शरण दी। जामनगर के बालाचड़ी में उन्होंने इन बच्चों के लिए एक विशेष शिविर की स्थापना की, जहां इन बच्चों को न केवल रहने की जगह दी गई, बल्कि उन्हें शिक्षा और देखभाल भी मुहैया कराई गई। पोलैंड के लोग आज भी उन्हें ‘पोलैंड के पिता’ के रूप में याद करते हैं और उनकी उदारता के प्रतीक के रूप में वारसॉ में उनकी मूर्ति स्थापित की गई है। महाराज दिग्विजयसिंहजी का जीवन एक प्रेरणा है, जो यह दर्शाता है कि सच्चा नेतृत्व केवल सत्ता में नहीं, बल्कि दूसरों की सेवा और सहायता में निहित है।
प्रश्न: जामनगर के किस महाराज को ‘अच्छे महाराज’ के रूप में जाना जाता है?
उत्तर: महाराज दिग्विजयसिंहजी
प्रश्न: महाराज दिग्विजयसिंहजी का शासनकाल किस वर्ष से किस वर्ष तक था?
उत्तर: 1922 से 1947 तक
प्रश्न: द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान महाराज दिग्विजयसिंहजी ने किस देश के बच्चों को शरण दी थी?
उत्तर: पोलैंड
प्रश्न: महाराज दिग्विजयसिंहजी ने पोलैंड के बच्चों को कौन से शहर में शरण दी थी?
उत्तर: जामनगर
प्रश्न: महाराज दिग्विजयसिंहजी को पोलैंड के बच्चों द्वारा किस उपनाम से संबोधित किया जाता था?
उत्तर: पोलैंड के पिता
प्रश्न: महाराज दिग्विजयसिंहजी ने पोलैंड के बच्चों की देखभाल के लिए किस स्थान पर एक विशेष शिविर स्थापित किया था?
उत्तर: बालाचड़ी
प्रश्न: महाराज दिग्विजयसिंहजी का निधन किस वर्ष हुआ था?
उत्तर: 1971
प्रश्न: महाराज दिग्विजयसिंहजी के सम्मान में पोलैंड सरकार ने कौन सा सम्मान उन्हें मरणोपरांत दिया था?
उत्तर: पोलिश क्रॉस ऑफ मेरिट
प्रश्न: महाराज दिग्विजयसिंहजी के द्वारा पोलैंड के बच्चों की मदद के लिए किए गए योगदान को किस प्रकार के मानवीय कार्य के रूप में माना जाता है?
उत्तर: मानवता की सेवा
प्रश्न: पोलैंड के किस शहर में महाराज दिग्विजयसिंहजी की मूर्ति स्थापित की गई है?
उत्तर: वारसॉ
ये प्रश्न और उत्तर महाराज दिग्विजयसिंहजी के योगदान और उनके ऐतिहासिक कार्यों पर आधारित हैं।