Makhana: बिहार का मखाना, जिसे फॉक्स नट या कमल के बीज के नाम से भी जाना जाता है, अपनी पोषणीय खूबियों के कारण दुनियाभर में मशहूर हो गया है। भारत में कुल मखाना उत्पादन का 80-90% हिस्सा सिर्फ बिहार में होता है। मुख्य रूप से यह मधुबनी, दरभंगा, पूर्णिया, कटिहार और सहरसा जिलों में उगाया जाता है। खास बात यह है कि बिहार के मिथिला क्षेत्र में सबसे ज्यादा मखाना की खेती होती है और इसकी बेहतर गुणवत्ता को देखते हुए इसे GI टैग भी मिल चुका है। वर्ष 2023-24 में भारत से कुल 25,130 मिलियन मैट्रिक टन मखाना का निर्यात किया गया।
किन देशों में है सबसे ज्यादा मांग?
भारत का मखाना सबसे ज्यादा अमेरिका में पसंद किया जाता है। कुल निर्यात में से लगभग 25% मखाना अमेरिका जाता है, जो इसे सबसे बड़ा खरीदार बनाता है। इसके बाद नेपाल का नंबर आता है, जहां करीब 14% मखाना निर्यात होता है। तीसरे नंबर पर संयुक्त अरब अमीरात (UAE) है, जहां भारत से 8% से ज्यादा मखाना खरीदा जाता है। इसके बाद इंग्लैंड और बांग्लादेश जैसे देशों में भी बिहार के मखाने की अच्छी मांग है। यह दिखाता है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अब मखाना एक लोकप्रिय और स्वास्थ्यवर्धक स्नैक बन चुका है।
तेजी से बढ़ रहा है मखाना का बाजार
IMARC की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में मखाना का बाजार तेजी से बढ़ रहा है और 2033 तक इसके 19.6 बिलियन रुपये तक पहुंचने की संभावना है। पिछले कुछ वर्षों में मखाना उत्पादन में लगातार वृद्धि हुई है। वर्ष 2023 में इसका उत्पादन 1.2 लाख टन था, जो 2025 तक 1.4 लाख टन तक पहुंचने की उम्मीद है। मखाना को एक सुपरफूड माना जाता है क्योंकि यह हृदय, हड्डियों, पाचन, त्वचा और संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।
मखाना खाने के फायदे
मखाना पोषक तत्वों से भरपूर होता है जिसमें प्रोटीन, फाइबर, मैग्नीशियम, पोटैशियम, कैल्शियम, आयरन और जिंक शामिल हैं। इसमें मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचाते हैं। इसकी कैलोरी कम होती है, जिससे यह एक हेल्दी स्नैक बन जाता है। कम कोलेस्ट्रॉल और सोडियम की वजह से यह ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है। हाई फाइबर और लो कैलोरी होने से यह भूख को नियंत्रित करता है और वजन घटाने में मदद करता है। साथ ही यह पाचन तंत्र को मजबूत करता है और कब्ज की समस्या को दूर करता है। इसमें मौजूद कैल्शियम और मैग्नीशियम हड्डियों को मजबूत बनाने में सहायक होते हैं।