Neelima Ghosh: महिला खिलाड़ियों का ओलंपिक खेलों में योगदान आधुनिक खेलों के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम रहा है। समय के साथ, खेलों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है।
महिलाओं ने न केवल अपनी खेल कौशल का प्रदर्शन किया है, बल्कि लिंग समानता के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश भी दिया है। यह समय था जब महिलाओं का क्षेत्र केवल घर के आंगन तक सीमित था। हालांकि, आज महिलाओं ने इन बाधाओं को पार किया है और देश का प्रतिनिधित्व करते हुए देश का मान बढ़ाया है।
पहली महिला खिलाड़ी कौन थी?
1952 में, नीलीमा घोष ने स्वतंत्र भारत से ओलंपिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया। यह वह समय था जब महिलाओं का बाहर जाना आम बात नहीं थी। उस समय महिलाओं की दुनिया घर और आंगन तक सीमित थी। फिर भी, उन्होंने इन सभी बाधाओं को पार करके ओलंपिक तक पहुंचने में सफलता प्राप्त की।
17 वर्ष की उम्र में ओलंपिक में भाग लिया
नीलीमा घोष का जन्म 15 जून 1935 को हुआ था। उन्होंने 1952 में हेलसिंकी में आयोजित खेलों में भाग लिया। उन्होंने केवल 17 साल की उम्र में ओलंपिक में हिस्सा लिया।
दो प्रतियोगिताओं में भाग लिया
नीलीमा घोष ने ओलंपिक खेलों में दो प्रतियोगिताओं में भाग लिया। उन्होंने 100 मीटर दौड़ में 13.80 सेकंड में आखिरी स्थान प्राप्त किया। इस प्रकार, वे आगे की प्रतियोगिता के लिए क्वालीफाई नहीं कर सकीं। हालांकि, कुछ दिनों बाद, उन्होंने 80 मीटर हर्डल रेस में भाग लिया।
इस दौड़ में, उन्होंने दो सेकंड के अंतर से पांचवां स्थान प्राप्त किया। उनका ओलंपिक प्रदर्शन अन्य महिला खिलाड़ियों को प्रेरित करने वाला था और महिला एथलीटों ने अपने सपनों को पंख देना शुरू किया। आज ओलंपिक्स की तस्वीर सामने है, जिसमें महिलाओं की भागीदारी देखी जा सकती है।
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