Rise of Buddhism: बौद्ध धर्म का उदय और सामाजिक परिवर्तन

Rise of Buddhism: बौद्ध धर्म का उदय और सामाजिक परिवर्तन

Rise of Buddhism: बौद्ध धर्म भारत में लगभग 6ठी सदी ईसा पूर्व में उत्पन्न हुआ। इसकी स्थापना सिद्धार्थ गौतम ने की, जिन्हें भगवान बुद्ध के नाम से जाना जाता है। उस समय भारत में धार्मिक और सामाजिक व्यवस्था में कई समस्याएं थीं। ब्राह्मणवाद का प्रभुत्व था और सामाजिक वर्गीकरण (जाति व्यवस्था) ने लोगों को बांट दिया था। ऐसे में लोगों को एक नई और सरल धार्मिक विचारधारा की आवश्यकता महसूस हुई।

सिद्धार्थ गौतम का जीवन और ज्ञान की खोज

सिद्धार्थ गौतम का जन्म शाक्य कुल में हुआ था। वे राजकुमार थे, परन्तु उन्होंने सांसारिक जीवन और सुखों का त्याग कर जीवन के दुखों का समाधान खोजने के लिए तपस्या और ध्यान की। 49 दिनों की गहन साधना के बाद उन्हें बोधि वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई। इसके बाद वे ‘बुद्ध’ अर्थात ‘जागृत’ कहलाए। उनका ज्ञान चार आर्य सत्य और अष्टांगिक मार्ग पर आधारित था जो जीवन के दुःखों को समाप्त करने का मार्ग बताता है।

बौद्ध धर्म के प्रमुख सिद्धांत

बौद्ध धर्म के मूल में चार आर्य सत्य हैं- दुःख है, दुःख के कारण हैं, दुःख का अंत संभव है, और दुःख के अंत का मार्ग अष्टांगिक मार्ग है। अष्टांगिक मार्ग में सही दृष्टि, सही संकल्प, सही वाणी, सही कर्म, सही आजीविका, सही प्रयास, सही स्मृति और सही समाधि शामिल हैं। बौद्ध धर्म ने अहिंसा, करुणा और मिदस्थता को जीवन का मूल मंत्र माना।

बौद्ध धर्म का सामाजिक और धार्मिक प्रभाव

बौद्ध धर्म ने जाति व्यवस्था को अस्वीकार किया और सभी मनुष्यों को समान माना। इस धर्म ने गरीबों, दलितों और महिलाओं को भी समान अधिकार दिए। उन्होंने धार्मिक अनुष्ठानों और जटिल कर्मकांडों को छोड़कर सरल और व्यावहारिक जीवन जीने की शिक्षा दी। इस प्रकार बौद्ध धर्म ने समाज में सुधार और समरसता का संदेश फैलाया।

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बौद्ध धर्म का प्रसार

बौद्ध धर्म की शिक्षा और सिद्धांतों ने तेजी से भारत के बाहर भी प्रभाव डाला। अशोक महान ने बौद्ध धर्म को राज्य धर्म के रूप में अपनाया और इसे पूरे भारत में फैलाया। उन्होंने स्तूपों, विहारों और मठों का निर्माण करवाया। इसके बाद बौद्ध धर्म श्रीलंका, दक्षिण-पूर्व एशिया, तिब्बत, चीन और जापान तक पहुंचा। आज भी यह धर्म दुनिया भर में लाखों लोगों का मार्गदर्शन करता है।

बौद्ध धर्म ने न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी भारत और विश्व के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया। यह धर्म जीवन के दुःखों से मुक्ति का मार्ग बताता है और मानवता के प्रति करुणा और शांति का संदेश देता है। इसलिए बौद्ध धर्म आज भी प्रासंगिक और प्रेरणादायक है।

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