Satellites, अंतरिक्ष में अन्य आकाशीय पिंडों के चारों ओर घूमने वाले मानव निर्मित कृत्रिम वस्त्र होते हैं। ये संचार, नेविगेशन, मौसम पूर्वानुमान, और वैज्ञानिक अनुसंधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कृत्रिम उपग्रहों का विचार पहली बार 17वीं सदी में सर आइज़ैक न्यूटन द्वारा प्रस्तुत किया गया था। पहले सफल कृत्रिम उपग्रह, स्पुतनिक 1, 4 अक्टूबर 1957 को सोवियत संघ द्वारा लॉन्च किया गया था, जिसने अंतरिक्ष युग की शुरुआत की। तब से, हजारों उपग्रह विकसित और तैनात किए गए हैं, जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में क्रांति ला दी है और प्रौद्योगिकी, अन्वेषण, और वैश्विक कनेक्टिविटी में सुधार किया है।
भारत का पहला उपग्रह, आर्यभट्ट, प्रसिद्ध भारतीय खगोलशास्त्री के नाम पर रखा गया था। यह पूरी तरह से भारत में डिज़ाइन और निर्मित किया गया था और 19 अप्रैल 1975 को एक सोवियत कॉस्मोस-3एम रॉकेट के माध्यम से लॉन्च किया गया था।
उपग्रहों को प्राकृतिक और कृत्रिम दो प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है। प्राकृतिक उपग्रह, जैसे पृथ्वी और चाँद, वे आकाशीय पिंड हैं जो स्वाभाविक रूप से बड़े पिंडों के चारों ओर घूमते हैं; उदाहरण के लिए, पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती है और चाँद पृथ्वी के चारों ओर घूमता है। कृत्रिम उपग्रह, दूसरी ओर, वे मशीनें हैं जो अंतरिक्ष में भेजी जाती हैं और एक आकाशीय पिंड के चारों ओर घूमती हैं। कृत्रिम उपग्रहों के उदाहरणों में हबल स्पेस टेलीस्कोप और अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन शामिल हैं, जो पृथ्वी के चारों ओर विशिष्ट कार्यों को करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।
उपग्रहों के प्रमुख प्रकार
1. संचार उपग्रह (Communication Satellites):
उपयोग: संचार लिंक स्थापित करना और दूरदराज के क्षेत्रों में संपर्क को सक्षम बनाना।
उदाहरण: GSAT श्रृंखला (भारत), Intelsat, Iridium।
ऑरबिट:
जियोस्टेशनरी ऑरबिट (GEO): लगभग 35,786 किलोमीटर की ऊँचाई पर, जैसे GSAT श्रृंखला।
लो अर्थ ऑरबिट (LEO): 160 से 1,000 किलोमीटर की ऊँचाई पर, जैसे SpaceX का Starlink।
अनुप्रयोग: रेडियो, टीवी, टेलीफोन और इंटरनेट सेवाएँ, मौसम विज्ञान, उच्च गति इंटरनेट सेवाएँ।
2. पृथ्वी अवलोकन उपग्रह (Earth Observation Satellites):
उपयोग: पृथ्वी की सतह और वातावरण की निगरानी।
उदाहरण: ISRO के CARTOSAT श्रृंखला, OCEANSAT, ESA का EUMETSTAT।
ऑरबिट:
सूर्य-संरेखित ऑरबिट (Sun-Synchronous Orbit): उपग्रह पृथ्वी के समान क्षेत्र पर लगातार समय पर पहुंचता है।
अनुप्रयोग: मौसम पूर्वानुमान, आपदा प्रबंधन, कृषि, भूमि उपयोग, पर्यावरणीय निगरानी।
3. नेविगेशन उपग्रह (Navigation Satellites):
उपयोग: स्थिति और समय की सटीक जानकारी प्रदान करना।
उदाहरण: GPS (USA), GLONASS (Russia), Galileo (Europe), BeiDou (China), NavIC (India)।
ऑरबिट:
मीडियम अर्थ ऑरबिट (MEO): लगभग 20,200 किलोमीटर की ऊँचाई पर, जैसे GPS उपग्रह।
जियोस्टेशनरी और जियोसिंक्लोनस ऑरबिट: NavIC के लिए।
अनुप्रयोग: वैश्विक और क्षेत्रीय नेविगेशन, समय-संक्रियण सेवाएँ, भूगोल और परिवहन की निगरानी।
4. खगोलशास्त्रीय उपग्रह (Astronomical Satellites):
उपयोग: अंतरिक्ष में खगोलशास्त्रीय अवलोकन और अनुसंधान।
उदाहरण: हबल स्पेस टेलीस्कोप, जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST), इंडिया का Astrosat।
अनुप्रयोग: तारों और ग्रहों का अध्ययन, ब्लैक होल्स की निगरानी, ग्रहों की सतहों की छवियाँ, जलवायु अनुसंधान।
उपग्रहों के कार्यक्षेत्र
- संचार उपग्रह: ये उपग्रह विभिन्न मीडिया ट्रांसमिशन, जैसे रेडियो और टीवी, के लिए लिंक प्रदान करते हैं। INSAT प्रणाली और उच्च गति इंटरनेट सेवाओं के लिए उपयोगी हैं।
- पृथ्वी अवलोकन उपग्रह: ये उपग्रह पृथ्वी की सतह की निगरानी के लिए उपयोगी हैं, जिसमें कृषि, जलवायु अध्ययन, और आपदा प्रबंधन शामिल हैं।
- नेविगेशन उपग्रह: ये उपग्रह सटीक स्थिति और समय जानकारी प्रदान करते हैं, जो वैश्विक और क्षेत्रीय नेविगेशन और समय-संक्रियण के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- खगोलशास्त्रीय उपग्रह: ये उपग्रह अंतरिक्ष में खगोलशास्त्रीय घटनाओं और संरचनाओं का अध्ययन करते हैं, जो पृथ्वी की सतह पर आधारित टेलीस्कोप की तुलना में अधिक स्पष्ट दृष्टि प्रदान करते हैं।
इन विभिन्न प्रकार के उपग्रहों के माध्यम से, मानवता ने अंतरिक्ष और पृथ्वी के अध्ययन, संचार, और अन्य कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति की है।