Sikkim Foundation Day: हर वर्ष 16 मई को सिक्किम स्थापना दिवस मनाया जाता है, जो 1975 में सिक्किम के भारत में 22वें राज्य के रूप में शामिल होने की स्मृति में मनाया जाता है। इस वर्ष, 2025 में, सिक्किम अपनी राज्यत्व की 50वीं वर्षगांठ—स्वर्ण जयंती—मना रहा है, जो राज्य के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और लोकतांत्रिक यात्रा का प्रतीक है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
सिक्किम का इतिहास 8वीं शताब्दी में गुरु पद्मसंभव (गुरु रिनपोछे) के आगमन से प्रारंभ होता है, जिन्होंने यहाँ बौद्ध धर्म की नींव रखी। 1642 में, फुंत्सोग नामग्याल को युक्सम में पहले चोग्याल (धर्मराजा) के रूप में अभिषिक्त किया गया, जिससे नामग्याल वंश की शुरुआत हुई। यह वंश 1975 तक सिक्किम पर शासन करता रहा।
19वीं शताब्दी में सिक्किम ब्रिटिश प्रभाव में आया और 1950 में भारत के साथ एक संधि के तहत यह एक संरक्षित राज्य बना। 1973 में लोकतांत्रिक सुधारों की मांग के चलते आंदोलन शुरू हुआ, जिसके परिणामस्वरूप 1975 में एक जनमत संग्रह आयोजित किया गया, जिसमें 97.5% लोगों ने भारत में विलय का समर्थन किया। इसके बाद, 16 मई 1975 को सिक्किम आधिकारिक रूप से भारत का 22वां राज्य बना और चोग्याल शासन समाप्त हुआ।
सांस्कृतिक उत्सव और परंपराएँ
सिक्किम स्थापना दिवस पर राज्य भर में विविध सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें पारंपरिक नृत्य, संगीत, परेड और पुरस्कार समारोह शामिल हैं। इस वर्ष, 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर गंगटोक के पलजोर स्टेडियम और मानन केंद्र में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए। राज्य सरकार ने “फेस्टिवल्स ऑफ सिक्किम” नामक पत्रिका, “विजिट सिक्किम” मोबाइल ऐप और एक टाइम कैप्सूल भी लॉन्च किया, जिसमें राज्यपाल और मुख्यमंत्री के संदेश शामिल हैं।
सिक्किम की सांस्कृतिक विविधता में लेपचा, भूटिया, लिम्बू और नेपाली समुदायों की परंपराएँ शामिल हैं। राज्य की आधिकारिक भाषाओं में नेपाली, अंग्रेज़ी, लेपचा, भूटिया और हिंदी शामिल हैं।
संवैधानिक संरक्षण और विकास
सिक्किम की विशिष्ट पहचान को बनाए रखने के लिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 371F के तहत विशेष प्रावधान किए गए हैं, जो राज्य की सांस्कृतिक स्वायत्तता, भूमि अधिकारों और स्थानीय संस्थानों की रक्षा करते हैं। राज्य ने जैविक खेती, पर्यटन, शिक्षा और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति की है। सिक्किम भारत का पहला पूर्णतः जैविक राज्य बन चुका है और इसकी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर पर्यटकों को आकर्षित करती है।
एकता और भविष्य की दिशा
सिक्किम स्थापना दिवस न केवल एक ऐतिहासिक घटना की स्मृति है, बल्कि यह राज्य की एकता, सांस्कृतिक गर्व और सतत विकास की दिशा में प्रतिबद्धता का प्रतीक भी है। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि लोकतंत्र, जन-इच्छा और राष्ट्रीय एकता कैसे एक नए युग की शुरुआत कर सकते हैं। इस 16 मई को, आइए हम सभी सिक्किम की गौरवपूर्ण यात्रा को सम्मानित करें और इसके सतत विकास और समृद्धि में योगदान देने का संकल्प लें।