Sixteen Mahajanapadas: प्राचीन भारत में वैदिक युग के अंत और बौद्ध युग की शुरुआत के समय लगभग 600 ईसा पूर्व एक महत्वपूर्ण राजनीतिक परिवर्तन देखने को मिला। इस काल में भारत के विभिन्न हिस्सों में अनेक स्वतंत्र और संगठित जनपद उभरे जिन्हें ‘महाजनपद’ कहा गया। ये महाजनपद भारत की राजनीतिक व्यवस्था के शुरुआती रूप थे।
महाजनपदों की उत्पत्ति और संरचना
महाजनपद शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है — ‘महा’ यानी बड़ा और ‘जनपद’ यानी जनों का निवास स्थान। इनका उदय सामंतवाद की जड़ें मजबूत होने और कृषि के विस्तार के कारण हुआ। लोग स्थायी जीवन जीने लगे और संगठित समाज की ओर बढ़े। प्रारंभ में 22 से अधिक जनपद थे लेकिन बाद में 16 महाजनपदों का विशेष उल्लेख मिलता है।
षोडश महाजनपदों की सूची
बौद्ध ग्रंथ ‘अंगुत्तर निकाय’ और जैन ग्रंथ ‘भगवती सूत्र’ में इन 16 महाजनपदों का उल्लेख किया गया है। ये हैं:
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अंग – वर्तमान बिहार और झारखंड में था। इसकी राजधानी चंपा थी।
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मगध – वर्तमान बिहार क्षेत्र। राजधानी राजगृह और बाद में पाटलिपुत्र।
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काशी – वर्तमान वाराणसी और आसपास का क्षेत्र। राजधानी वाराणसी।
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कोशल – अवध क्षेत्र। राजधानी श्रावस्ती।
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वज्जि (वृज्जि) – यह गणराज्य था। राजधानी वैशाली।
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मल्ल – एक और गणराज्य। कुशीनगर और पावा इसकी प्रमुख नगरियाँ थीं।
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चेदि – बुंदेलखंड क्षेत्र। राजधानी शुक्तिमती।
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वत्स – प्रयागराज के आसपास। राजधानी कौशांबी।
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कुरु – दिल्ली और हरियाणा क्षेत्र। राजधानी इन्द्रप्रस्थ।
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पंचाल – उत्तर प्रदेश के पश्चिमी भाग में।
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मतस्य – जयपुर और अलवर क्षेत्र। राजधानी विराटनगर।
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शूरसेन – मथुरा और आसपास का क्षेत्र।
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अश्मक – दक्षिण भारत का एकमात्र महाजनपद। गोदावरी के किनारे।
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अवन्ति – मध्य प्रदेश में। राजधानी उज्जयिनी और महिष्मती।
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गंधार – वर्तमान पाकिस्तान और अफगानिस्तान। राजधानी तक्षशिला।
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काम्बोज – वर्तमान कश्मीर और अफगानिस्तान का कुछ भाग।
राजनीतिक और सामाजिक विशेषताएं
इन महाजनपदों में कुछ राजशाही थे और कुछ गणराज्य। जैसे मगध, कोशल, काशी आदि राजशाही थे जबकि वज्जि, मल्ल आदि गणराज्य थे जहां जनता द्वारा चुने गए नेता शासन करते थे। इनमें सेना, कर वसूली, न्याय व्यवस्था और कूटनीति जैसी व्यवस्थाएं विकसित हो चुकी थीं।
मगध का उदय और महाजनपदों का अंत
महाजनपदों की इस प्रतिस्पर्धा में अंततः मगध सबसे शक्तिशाली बनकर उभरा। बिंबिसार, अजातशत्रु और महापद्म नंद जैसे शासकों के नेतृत्व में मगध ने काशी, कोशल, अंग और अन्य महाजनपदों को अपने में मिला लिया। यही आगे चलकर मौर्य साम्राज्य की नींव बना। महाजनपद भारतीय इतिहास की वह नींव हैं जहां से संगठित साम्राज्य की शुरुआत होती है। इनका अध्ययन न केवल भारत की राजनीतिक प्रगति को दर्शाता है बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक विकास का भी परिचायक है।