Strange Fair: मूंछ का आकार नहीं आत्मविश्वास है असली पहचान, राजस्थान की इस अनोखी प्रतियोगिता का राज

Strange Fair: मूंछ का आकार नहीं आत्मविश्वास है असली पहचान, राजस्थान की इस अनोखी प्रतियोगिता का राज

Strange Fair: भारत की पहचान उसकी विविधता से होती है। अलग-अलग हिस्सों में आपको ऐसी परंपराएं और आयोजन देखने को मिलते हैं जो आपको चौंका देते हैं। राजस्थान का नाम इन खास परंपराओं में सबसे ऊपर आता है। यहां हर साल कई बड़े मेले लगते हैं जो अपनी शाही हवेलियों और ऐतिहासिक धरोहरों के लिए तो मशहूर हैं ही लेकिन इन मेलों में होने वाली अजीबो-गरीब प्रतियोगिताएं भी लोगों को बहुत लुभाती हैं। ऐसी ही एक खास प्रतियोगिता होती है मूंछों की। चलिए जानते हैं राजस्थान में मूंछों की ये अनोखी प्रतियोगिता कहां और कैसे होती है।

कहां होती है ये मूंछ प्रतियोगिता?

राजस्थान के पुष्कर मेले की पहचान सिर्फ ऊंटों और लोक कलाकारों तक सीमित नहीं है बल्कि यहां पर एक अनोखी प्रतियोगिता भी होती है जिसे ‘मूंछ प्रतियोगिता’ कहा जाता है। इस प्रतियोगिता का नाम पिछले साल ‘शान-ए-मूंछ’ रखा गया था। इसमें हिस्सा लेने वाले बूढ़े और जवान लोगों की मूंछें बेहद लंबी और घनी होती हैं। यह प्रतियोगिता हर साल कार्तिक पूर्णिमा के आसपास लगने वाले पुष्कर मेले में होती है और इसमें देश-विदेश से हजारों पर्यटक भाग लेते हैं और देखते हैं।

Strange Fair: मूंछ का आकार नहीं आत्मविश्वास है असली पहचान, राजस्थान की इस अनोखी प्रतियोगिता का राज

कैसे तय होता है विजेता?

इस अनोखी प्रतियोगिता में विजेता का फैसला उसके प्रदर्शन पर किया जाता है। यानी जितनी लंबी और आकर्षक मूंछ होगी, उतना ही अधिक अवसर होता है जीतने का। प्रतियोगी अपनी मूंछों को खास अंदाज़ में सजाकर और प्रस्तुत करके जजों को प्रभावित करते हैं। कई बार तो इस प्रतियोगिता में विदेशी नागरिक भी भाग लेते हैं जो भारतीय परंपरा को अपनाते हुए मूंछें बढ़ाते हैं और मंच पर शान से चलते हैं। विजेता को सम्मानित किया जाता है और उसे एक खास नाम और इनाम भी दिया जाता है जो उसकी मूंछ की शान को और बढ़ा देता है।

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पुष्कर मेले की अन्य प्रतियोगिताएं

पुष्कर मेला सिर्फ मूंछों की प्रतियोगिता तक ही सीमित नहीं रहता। यहां ऊंट सजाने की प्रतियोगिता, पारंपरिक कपड़ों में सजी महिलाओं की शोभा यात्रा, विदेशी पर्यटकों के साथ कबड्डी मैच और पगड़ी बांधने की प्रतियोगिताएं भी होती हैं। पुरुषों को सीमित समय में सबसे सुंदर पगड़ी बांधनी होती है और इसे देखने के लिए भी बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा होते हैं। मेले का हर दिन किसी नई कला और परंपरा को दर्शाता है। यही कारण है कि हर साल लाखों की भीड़ इस मेले का हिस्सा बनने के लिए पुष्कर पहुंचती है और भारतीय संस्कृति की झलक देखती है।

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