India, जिसे संविधान के अनुच्छेद 1 में “संघ राज्य” कहा गया है, विश्वभर में विभिन्न नामों से जाना जाता है। हालांकि, भारत और भारत दोनों नाम आधिकारिक रूप से मान्य हैं, लेकिन कुछ देशों में भारत को विभिन्न नामों से पहचाना जाता है। चीन और जापान ऐसे दो देश हैं, जहां लोग भारत को अलग नामों से पुकारते हैं। आइए, जानते हैं कि भारत को चीन और जापान में किन नामों से जाना जाता है और इसके पीछे का कारण क्या है।
चीन में भारत को किस नाम से पुकारा जाता है?
सबसे पहले बात करते हैं कि चीन में भारत को किस नाम से जाना जाता है। चीन में भारत को ‘तियानझू’ (Tianzhu) के नाम से जाना जाता है। यह नाम चीनियों द्वारा प्राचीन काल में भारत का वर्णन करते हुए इस्तेमाल किया गया था।
चीन में ‘तियानझू’ नाम का प्रयोग क्यों किया जाता है?
अब सवाल यह उठता है कि चीनी लोग भारत को ‘तियानझू’ क्यों पुकारते हैं? इसका उत्तर इस शब्द की उत्पत्ति और ऐतिहासिक संदर्भ में छिपा है। ‘तियानझू’ शब्द चीनी भाषा के प्राचीन शब्दों से लिया गया है। यह शब्द प्राचीन चीनी यात्रियों द्वारा भारत का वर्णन करते समय इस्तेमाल किया गया था। चीन के प्राचीन यात्री जब भारत यात्रा पर आते थे, तो वे इस शब्द का उपयोग करते थे, जो ‘स्वर्गीय क्षेत्र’ के अर्थ में आता है। इसका मतलब था कि भारत को उन्होंने एक सुंदर, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से देखा था, जिसे स्वर्ग जैसा माना गया।
चीन में इस नाम का प्रयोग आज भी होता है, और यह प्राचीन चीनी भाषा और संस्कृति के प्रभाव को दर्शाता है। यह नाम भारत की सुंदरता और दिव्यता को प्रदर्शित करता है, जैसा कि चीनी यात्रियों ने अपने यात्रा विवरणों में उल्लेख किया है।
जापान में भारत को किस नाम से पुकारा जाता है?
अब बात करते हैं जापान की, जहां भारत को ‘तेन्जीकु’ (Tenjiku) के नाम से जाना जाता है। यह नाम भी भारत के संदर्भ में प्राचीन जापानी भाषा से लिया गया है और इसे जापानी समाज में प्रचलित किया गया है।
जापान में ‘तेन्जीकु’ नाम का प्रयोग क्यों किया जाता है?
जापान में भारत को ‘तेन्जीकु’ नाम से क्यों पुकारा जाता है, इसका उत्तर भी चीन के समान है। यह नाम प्राचीन जापानी भाषा और संस्कृति से लिया गया है। जापानी लोग भारत को एक ‘स्वर्गीय क्षेत्र’ के रूप में देखते थे। ‘तेन्जीकु’ शब्द का मतलब भी ‘स्वर्गीय क्षेत्र’ है, और यह भारत की सुंदरता और दिव्यता को दर्शाने के लिए प्रयोग किया जाता है।
यह नाम उस समय उत्पन्न हुआ था जब जापानियों ने भारत के बारे में सुना था और भारत को एक अत्यधिक सम्मानजनक और आकर्षक स्थान के रूप में माना था। इस नाम के माध्यम से जापान में भारतीय संस्कृति और सभ्यता की महानता को उजागर किया गया था।
चीन और जापान में ‘तियानझू’ और ‘तेन्जीकु’ शब्दों का अर्थ क्या है?
‘तियानझू’ और ‘तेन्जीकु’ दोनों शब्दों का अर्थ ‘स्वर्गीय क्षेत्र’ होता है। इन शब्दों में भारत की प्राकृतिक सुंदरता, सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व को दर्शाने का प्रयास किया गया है। यह नाम भारत के प्रति चीनी और जापानी लोगों की गहरी श्रद्धा और सम्मान को प्रकट करते हैं।
भारत को इन देशों में स्वर्गीय और दिव्य स्थान के रूप में देखा गया है, और इन शब्दों के माध्यम से उन देशों के लोग अपनी भावनाओं का इज़हार करते हैं। यह नाम भारत की आत्मा, उसकी संस्कृति और उसके इतिहास की विशेषताओं का प्रतीक हैं।
चीन और जापान के साथ भारत के रिश्ते
चीन और जापान के साथ भारत के रिश्ते ऐतिहासिक दृष्टिकोण से काफी दिलचस्प रहे हैं। भारत और चीन के बीच रिश्ते हमेशा मिश्रित रहे हैं। 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद से इन देशों के रिश्तों में उतार-चढ़ाव आते रहे हैं। हालांकि, इस संघर्ष के बावजूद, दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों में वृद्धि हुई है। 2020 में भारत और चीन के बीच व्यापार 100 अरब डॉलर के करीब पहुँच गया है।
चीन के साथ भारत का सम्बन्ध कुछ चुनौतियों का सामना कर रहा है, जैसे कि सीमा विवाद और राजनीतिक मतभेद। इसके बावजूद, व्यापारिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान दोनों देशों के रिश्तों का अहम हिस्सा हैं।
दूसरी ओर, भारत और जापान के रिश्ते अधिक सकारात्मक और सहयोगात्मक रहे हैं। दोनों देशों के बीच कई आर्थिक और सांस्कृतिक समझौते हुए हैं। जापान ने भारत में कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं में निवेश किया है, जिनमें बुलेट ट्रेन परियोजना भी शामिल है। इसके अलावा, भारत और जापान के बीच आर्थिक सहयोग और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में निरंतर वृद्धि हो रही है, जो दोनों देशों के बीच रिश्तों को मजबूत बना रहा है।
भारत को चीन और जापान में अलग नामों से पुकारा जाता है, जैसे ‘तियानझू’ और ‘तेन्जीकु’, जो इस बात को दर्शाते हैं कि भारत की संस्कृति और इतिहास ने इन देशों के लोगों पर गहरा प्रभाव डाला है। इन देशों में भारत को ‘स्वर्गीय क्षेत्र’ के रूप में देखा जाता है, जो उसकी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक समृद्धि को प्रकट करता है।
भारत के साथ चीन और जापान के रिश्ते भी ऐतिहासिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण रहे हैं। जबकि चीन के साथ रिश्ते कई मुद्दों पर संघर्ष और सहयोग का मिश्रण रहे हैं, जापान के साथ भारत के रिश्ते अधिक सहयोगपूर्ण और विकासशील हैं। इन दोनों देशों में भारत के प्रति सम्मान और श्रद्धा गहरी है, और इसके पीछे उनका इतिहास और संस्कृति की समझ है