Denzil Keeler: 1965 की जंग के नायक और पाकिस्तानी सबर को ध्वस्त करने वाले भारतीय एयर मार्शल

Denzil Keeler: 1965 की जंग के नायक और पाकिस्तानी सबर को ध्वस्त करने वाले भारतीय एयर मार्शल

Denzil Keeler: ब्रिटिश राज के बाद, भारत और पाकिस्तान के बीच की विभाजन की नीतियों ने 1947 में दो अलग-अलग राष्ट्रों के रूप में भारत और पाकिस्तान की नींव रखी। इसके बाद से, इन दोनों देशों के बीच कई युद्ध और क्षेत्रीय दावे बने रहे। इनमें से एक महत्वपूर्ण संघर्ष 1965 का युद्ध था, जिसमें कश्मीर क्षेत्र के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच जंग लड़ी गई। इस युद्ध के अंत में, संयुक्त राष्ट्र द्वारा मध्यस्थता की गई और युद्धविराम हुआ। अंततः भारत ने इस युद्ध में विजय प्राप्त की, और इसका श्रेय भारतीय सेना के वीर सपूतों को जाता है जिन्होंने देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए साहस और समर्पण के साथ लड़ा।

Denzil Keeler: 1965 की जंग के नायक और पाकिस्तानी सबर को ध्वस्त करने वाले भारतीय एयर मार्शल

एयर मार्शल Denzil Keeler: वीरता की मिसाल

एयर मार्शल Denzil Keeler, 1965 के Indo-Pak युद्ध के एक प्रमुख नायक थे। उन्होंने अपने भाई विंग कमांडर ट्रेवर कीलर के साथ मिलकर पाकिस्तान के सबर विमान को नीचे गिराया, जो युद्ध का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। उनके साहस और लड़ाई की कौशल के लिए उन्हें वीर चक्र से नवाजा गया, जो भारत का तीसरा सर्वोच्च सैन्य सम्मान है।

Denzil Keeler को कई महत्वपूर्ण पुरस्कारों से नवाजा गया, जिनमें परमवीर चक्र, कीर्ति चक्र और अतिविशिष्ट सेवा मेडल शामिल हैं।

Denzil Keeler के सैन्य करियर, पुरस्कार और उपलब्धियाँ

वीर चक्र

19 सितंबर, 1965 को, डेंजिल कीलर ने पाकिस्तान के खिलाफ एक हवाई हमले के दौरान मिस्टेर विमान को फाइटर एस्कॉर्ट प्रदान किया। उनकी कमान में, उनके चार ग्नैट विमान ने चार दुश्मन सबर जेट्स का सामना किया। 2000 फीट से कम की ऊंचाई पर, जब एंटी-एयरक्राफ्ट गन्स भी सक्रिय थीं, कीलर ने एक सबर जेट को नष्ट किया और दूसरे को गंभीर रूप से नुकसान पहुँचाया। उनके साहस और कर्तव्य के प्रति समर्पण ने उन्हें वीर चक्र से सम्मानित किया।

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कीर्ति चक्र

27 मार्च, 1978 को, जब डेंजिल कीलर का मिग-21 FL विमान उच्च ऊंचाई पर उड़ान भर रहा था, तो विमान का कैनोपी टूट गया, जिससे उन्हें विस्फोटक डिकम्प्रेशन और गंभीर वायु विस्फोट का सामना करना पड़ा। बावजूद इसके, उन्होंने विमान को सुरक्षित तरीके से वापस बेस पर लाने का निर्णय लिया। उनके साहसिक कार्य ने उन्हें कीर्ति चक्र प्रदान किया।

अतिविशिष्ट सेवा मेडल

1980 से 1982 तक, डेंजिल कीलर ने पेरिस, फ्रांस में भारतीय दूतावास में एयर अटैचé के रूप में कार्य किया। इसके बाद, उन्होंने महाराजपुर एयर फोर्स स्टेशन का कमान संभाला। उनकी इस प्रतिष्ठित सेवा के लिए उन्हें 26 जनवरी, 1986 को अतिविशिष्ट सेवा मेडल और 26 जनवरी, 1989 को परमविशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित किया गया।

डेंजिल कीलर का करियर भारतीय वायुसेना के प्रति उनकी अद्वितीय सेवा और नेतृत्व की मिसाल पेश करता है। उनकी वीरता और समर्पण ने भारतीय वायुसेना को एक नई ऊँचाई पर पहुँचाया और उनका नाम हमेशा सम्मान के साथ लिया जाएगा।